संध्या शर्मा का नमस्कार....सी जी रेडियो के खूबसूरत शुभारंभ के लिए संज्ञा जी, ललित शर्माजी और सभी सहयोगियों को हार्दिक बधाई और ढेरों शुभकामनायें. पहली पोस्ट सुनी बहुत अच्छा लगा सुनकर. संज्ञा जी की मधुर आवाज़ सचमुच कानो में मिश्री घोलने का हुनर रखती है. जानकर बहुत अच्छा लगा कि वो सबकुछ मिलेगा यहाँ जो हम सुनना चाहते हैं. अगली पोस्ट का इंतज़ार है...
"ऐसी उड़ान भरो छू लो गगन सारा..........
हमारी सारी दुआएं आपके साथ हैं.... 
एक पुनः एक बार "सी जी रेडियो की पूरी टीम को बहुत बहुत बधाई ...... प्रस्तुत हैं, आज की वार्ता .....
 
  
सीजीरेडियो आरंभ  पर ग्लोबल होती जा रही है दुनिया में हर एक चीज़। पत्रों की जगह टेलीफोन ने ले
 ली थी, टेलीफोन के बाद मोबाइल फोन आए कुछ और सुविधा युक्त। जिनमें एसएमएस 
के ज़रिये फोन पर व्यक्ति की उपलब्धता न होने पर भी संदेश पहुंचना शरू हो 
गए यानि पुराने समय के साथ तार या टेलिग्राम का ज़माना भी ख़त्म सा होने 
लगा। और कंप्यूटर के साथ इंटरनेट ने तो सारी सुविधाओं को एक साथ मुहैया 
कराने का जैसे जिम्मा ही ले लिया। लेखनी, चित्र, आवाज़, वीडियो सब कुछ 
मिनटों में दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने में फौरन उपलब्ध कराने का 
ज़रिया।छत्तीसगढ़ का अपना इंटरनेट रेडियो बनाने की कल्पना ब्लॉगर ललित शर्मा के मन
 में कई बरसों से बसी थी। गत मई में मेरी उनसे मुलाकात होने 
पर योजना पर काम प्रारंभ हुआ, लोग मिलते गए, उनकी कल्पना औरों के मन में भी
 बसती चली गई और वो कल्पना योजना में तब्दील होने लगी और आज वो शभअवसर आ ही
 गया जब उस कल्पना के साकार होने का दिन है। सीजीरेडियो ने मूर्त रूप ले 
लिया। जहाँ पर भी इन्टरनेट कनेक्टिविटी है, वहां तक सीजी रेडियो का प्रसारण
 सुना जा सकता है।संज्ञा टंडन...मुबारक हो आप सबको आज का ये दिन....
 
बोलते स्वर ! *अनहत नाद से *
*अनसुने स्वर *
*बसेरा बनाये *
*हमारे बीच *
*ये भी घण्टी से *
*झंकृत हो *
*बोल सकते हैं *
*बस हमको *
*बनना होगा *
*खामोश पड़ी *
*घण्टी के *
*मन के द्वार *
*खोलते और *
*बोलते स्वर !*
* .. यह कविता नहीं.... बस
कुछ टूटे फूटे शब्द
नियमों से परे
कभी कभी
ले लेते हैं
एक आकार
कर देते हैं
कल्पना को साकार
जिनमे न रस
न छंद
न अलंकार की सुंदरता
जिनमे न हलंत
न विसर्ग
न विराम और
मात्राओं की जटिलता
बस है
तो सिर्फ
एक मुक्त
उछृंखल
अभिव्यक्ति
अन्तर्मन की
पंक्ति !
हाँ यह
बिखरे शब्द
इधर उधर उड़ते शब्द
कुछ कहते शब्द 
सिर्फ कुछ पंक्तियाँ हैं
कविता नहीं
.. रिश्तों की डोर... रिश्तों की डोर
कसकर बाँधो
या बाँधकर कसो
दोनों वक्त टूटने का डर है...
और यही टूटने का डर
रिश्तों को कस कर बाँधे रखता है
और बाँध कर कसे रखता है...
पर कैसे?
यही सवाल हरदम...
अब इसे सुनिये मेरी आवाज में एक नये प्रयोग के साथ ...
 दिल ज़रा उदास है कुछ दर्द हैं सीने में जिसे छुपा नहीं सकते,
कुछ दर्द है की उनको अक्षरशः बता नहीं सकते।
ना ये मोहब्बत का गम है, ना ये जुदाई का गम है,
ना ये किसी की रुसवाई का गम।
दिल ज़रा उदास है,
कई कारण होते हैं उदासी के,
बस सम्हल रहे हैं खुद हीं,
एक हीं कारण बहुत है बर्बादी के .अछोर विस्तार पाने की ललक ने मुझे इंटरनेट का एडिक्ट बना दिया...(Girish Billore) at मिसफिट Misfit -...खता मेरी ही थी, जो मैं तुमसे दिल लगा बैठा। आज सुबह आदरणीय सलूजा साहब के ब्लॉग "यादें" पर उनकी एक तन्हाई  भरी कृति पढ़ 
रहा था तो चंद शब्द मेरे जहन में भी कौंधे और उन्हें मैंने इस रचना के तौरपर 
ढालने की कोशिश की, आप भी पढ़िए  ;
*चौखट पे न होता आज, इसतरह सा ठगा बैठा,*
*खता मेरी ही थी, जो मैं तुमसे दिल लगा बैठा। *
*   *
*कम्वक्त जिन्दगी ने, न दिया चैन से सोने कभी,*
*वाट जोहते तेरी, रात-रातों को रहा जगा बैठा। *
*
*
*तुम्हे समझकर अपना, नादानियों की हद देखो,*
*उनको भी जो अपने थे, अपने से दूर भगा बैठा। *
*
...
मकसद ...
                      -
                    
 
 उफ़ ! बड़ी अजीबो-गरीब है, .............. मुहब्बत उसकी 
 कभी हंस के लिपटती है, तो कभी सहम के छिटकती है ? 
 ... 
 मरते मरते भी... मौत न आई मुझको 
 बस, तेरी ...अक्स विहीन आईना
                      -
                    
आज उतार लायी हूँ 
अपनी भावनाओं की पोटली 
मन की दुछत्ती से 
बहुत दिन हुये 
जिन्हें बेकार समझ 
पोटली बना कर 
डाल दी थी 
किसी कोने में ,
आज थोड़ी फुर्सत थी 
.मेरे बिखरे हुये गेसू और उलझी लटें  तुम्हारी राह देखती है
                      -
                    
 
इस कविता के माध्यम से मै रत्नावली के मन मे उठे उदगारो  को रख रहा हू जो 
उन्होने गोस्वामी जी के वियोग मे व्यक्त किये होंगे. यदि आप मानस का हंस पढे  
होंग... 
कहो तो आग लगा दूं तुम्हें ए ज़िन्दगी...
                      -
                    
 
 कभी कभी मुझे लगता है लिखना एक बीमारी है, एक फोड़े की तरह.. या फिर एक घाव जो 
मवाद से भरा हुआ है... जिसका शरीर में बने रहना उतना ही खतरनाक है, जितना दर्द 
उ...कैसे कह दूँ, वापस खाली हाथ मैं आया
                      -
                    
 
 माँगा था सुख, दुख सहने की क्षमता पाया,
 कैसे कह दूँ, वापस खाली हाथ मैं आया ।
 
 पता नहीं कैसे, हमने रच दी है, सुख की परिभाषा,
 पता नहीं कैसे, जगती है, संच...प्रभाव परिवर्तन का
                      -
                    
 
अकारण कोई नहीं अपनाता 
मन शंकाओं से भरता जाता 
यह  परिवर्तन हुआ कैसे 
छोर नजर नहीं आता 
फिर भी परेशान नहीं हूँ 
खोजना चाहती हूँ उसे 
जो है असली कारक और कार... 
आम आदमी को "आम" की तरह ख़ास आदमी चूसता रहा है
                      -
                    
"आम आदमी को "आम" की तरह ख़ास आदमी चूसता रहा है ...मुग़ल कालीन जुमला है "कत्ले 
आम" यानी यहाँ भी आम आदमी का ही क़त्ल होता था ...अंग्रेजों के समय भी आम आदमी 
ही ..डॉ राजेन्द्र प्रसाद  पर गर्व करता है सारा हिन्दुस्तान
                      -
                    
 डॉ राजेन्द्र प्रसाद -
-भारत के प्रथम राष्ट्रपति का जन्म , बिहार के जिला सीवान में ३ जनवरी १८८४ को 
हुआ था। इनके पिता नाम महादेव सहाय तथा माता का नाम कमलेश्....परिहार
                      -
                    
*
**बयाँ      कर     रहा     है ,  जिस्म    का *
*हर   सुराख़ , गोली  सीने  में   खायी  है,*
*ये  अलग है,लगाया सीने से एतबार था  *
*नजदीक  से  गोली, अपनों   ... 
 जैसलमेर- बाबा रामदेव/रामदेवरा Baba Ramadevra (Pokhran)
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राजस्थान यात्रा-
भाग 1-जोधपुर- जोधपुर शहर आगमन
भाग 2-जोधपुर का मेहरानगढ़ दुर्ग
भाग 3-जोधपुर कायलाना झील व होटल लेक व्यू
भाग 4-जोधपुर- मन्डौर- महापंडित लंकाध...
तुझसे नाराज़ नहीं ज़िंदगी, हैरान हूँ मैं
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25 मई 1986 की उस आधी रात को मैं अकेला, उस सुनसान लॉबी में धड़कते दिल के साथ 
दीवार से सट कर खड़ा था जिसमे एक ऑपरेशन थियेटर के भीतर हमारे अंश से पनपी नई 
जिंदगि..न आओगे मगर सुना है
                      -
                    
 
 
जिनके हिस्से में ज़िंदगी बची रहती है, उनके हिस्से में रात भी आ जाया करती 
है। और रात के ग्यारह भी बजा करते होंगे अगर वे गुज़र न रहे हों किसी के ख़याल 
स...
 
 
 
आज के लिए बस इतना ही, इजाज़त दीजिये नमस्कार ..............
 
 
9 टिप्पणियाँ:
कुछ न कुछ करते रहना चाहिए |सी जी रेडियो की टीम को बधाई तो दे दें पर अभी मुझे जानकारी अधूरी है संध्या जी |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
बहुत बढ़िया जानकारी देती वार्ता .... आभार ...
बहुत अच्छी वार्ता ..
सीजीरेडियो की पूरी टीम को बहुत बहुत बधाई ..
ढेरों शुभकामनायें आप सबको..
वाह ... बेहतरीन
शुक्रिया...शुभकामनाएं...
सबसे पहले तो इस खूबसूरत शुभारम्भ के लिए संज्ञा जी , ललित शर्माजी और आपके सभी सहयोगियों को हार्दिक बधाई और ढेरों शुभकामनायें.
सच मे रोचक वार्ता
कार्टून को भी सम्मिलित करने के लिए आभार
bahut badhaaii evam shubhkamnayen ....poorii team ko .
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