संध्या शर्मा का नमस्कार.... आज के दिन भी ब्लॉग जगत में दिल्ली की घटना पर दुःख, आक्रोश ही दिखाई दिया, जो बहुत सी रचनाओं में साफ दिखाई दे रहा है. लोगो की सोच मानसिकता, नजरिया क्यों नहीं बदलता??? क्यों उनके लिए कोई भी रिश्ता हवस के सामने मायने नहीं रखता...??? ओह... पता नहीं कब बदलेगा ये इंसान जो इंसान कहलाने लायक भी नहीं रह गया... आइये अब चलते हैं आज की वार्ता पर.......
क्योंकि........ हूँ बलात्कारियों के साथ तब तक
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हम थोथे चने हैं
सिर्फ शोर मचाना जानते हैं
एक घटना का घटित होना
और हमारी कलमों का उठना
दो शब्द कहकर इतिश्री कर लेना
भला इससे ज्यादा कुछ करते हैं कभी ....अराजकता का जिम्मेदार कौन ?
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जब से दिल्ली में चलती बस में बलात्कार की वारदात हुई है,संसद से लेकर सड़क पर
खूब उबाल दिख रहा है। सड़क पर तो आम आदमी इस तरह के वाकयों के बार-बार होने से...'पुरुष' होने का दंभ
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बलात्कार जैसी घटनाओं के लिए पुरुषों में 'पुरुष' होने का दंभ भी एक कारण है।
पुरुषों को बचपन से यह ही यह अहसास दिलाया जाता है कि वह पुरुष होने के कारण
महिला...
खुशियाँ मनाइये कि मेरा रेप नहीं हुआ!!!
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पापा,
आप खुशियाँ मनाइये* ***
*एक उत्सव सा माहौल सजा***
*कि आपने मुझे खत्म करवा दिया था***
भ्रूण मे ही
मेरी माँ के
वरना शायद आज मैं...
प्रस्तार कहाँ से लाऊँ ...
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आज फिर चली जा रही हूँ ...
बढ़ी जा रही हूँ .....
आस से संत्रास तक .....
खिँची खिँची ...
नदिया किनारे ....
कुछ यक्ष प्रश्न लिए ...
डूबता हुआ सूरज देखने ....ऐसी जिन्दगी तो चाही नहीं थी मैनें .....?
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*साँसों का बंधन /*
दिल की कराहें /
काँटों का बिछौना /
*ऐसी जिन्दगी तो चाही नहीं थी मैनें .....?*
आँखों का रोना /
दिल का तडपना /
रातो को जगना /
*ऐसी जिन..
लौट आओ कि अब वतन मुश्किल मे है
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राम प्रसाद बिस्मिल
भारतीय स्वाधीनता संग्राम में काकोरी कांड एक ऐसी घटना है जिसने अंग्रेजों की
नींव झकझोर कर रख दी थी। अंग्रेजों ने आजादी के दीवानों द्वारा ...बलात्कारियों के खिलाफ कड़े कानून कब बनेंगे !!
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देश में बलात्कार की घटनाओं लगातार वृद्धि दर्ज हो रही है अगर आधिकारिक
आंकड़ों की ही बात करें तो एक साल में पुरे देश में लगभग पच्चीस हजार महिलाओं
,लड़कियों ...
बलात्कार दो प्रकार का होता है --घोषित और पोषित जिसमें शोषित तो हमेशा स्त्री ही होती है
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"बलात्कार दो प्रकार का होता है --घोषित और पोषित जिसमें शोषित तो हमेशा
स्त्री ही होती है . घोषित बलात्कार के विषय में सभी जानते है पर बारीकी से
नहीं . घोषि...
" बलात्कार का "इलाज ",फांसी या सेक्स-शिक्षा."...??????
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* सभी " समझदार " मित्रों को मेरा नमस्कार !!*
* कल संसद में देश के समझदार सांसदों ने एक
बलात्कार की घटना की निंदा कर,और दोष..आतंकवादियों का सम्मान करना कोई कांग्रेसियों से सीखे
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दिग्विजय जी आतंकवादी ओसामा को 'जी' कहकर संबोधित करते हैं तो श्रीमान शिंदे
जी आतंकवादी हाफ़िज़ सईद को 'श्री' कहकर सम्मान देते हैं !
-----------------------...शीला और सोनिया रहतीं दोनों दिल्ली में ,
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माँ बहन बेटी कोई भी सुरक्षित नहीं है इस व्यवस्था में .
युवा संस्थाएं तो इस दरमियान बहुत बनी हैं लेकिन सब की सब वोट
बटोरने के लिए ,मौज मस्ती के लिए ....
कन्या भ्रूण हत्या मजबूरी है !!!:( - (अपवाद होते हैं)
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सिसकियों ने
मेरा जीना दूभर कर दिया है
माँ रेsssssssssssssss ............
मैं सो नहीं पाती
आखों के आगे आती है वह लड़की
जिसके चेहरे पर थी एक दो दिन में ...
.
महिलायें कहीं भी सुरक्षित नहीं..........?
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*हरेश कुमार*
*
*
*
*
देश की राजधानी, दिल्ली में आए दिन महिलाओं के खिलाफ अपराधों में बढ़ोतरी होती
जा रही है और ऐसा तब है जब यहां महिलायें जिंदगी के हर क्षे..किस मानव के लिए ये अधिकार
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चिन्तामणि मिश्र
अभी पिछ¶े सप्ताह देश भर में मानव अधिकार दिवस पर कई कार्यकम हुए। सा¶ का एक
दिन मानव अधिकार का कीर्तन करने के ¶िए निर्धारित है। इस दिन गोष...
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते ......?
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दिल्ली में एक छात्रा के साथ हुए अपराध के
बारे में बहुत कुछ कहा सुना जायेगा और कुछ समय बाद इस घटना को भूलकर हम फिर से
अपने...
दर्द दे गया......
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*
**हमदर्द है जमाना कि दर्द दे गया,*
*कुछ ख्वाब थे अधूरे, कुछ और दे गया-*
*
**किस्तों में है चुकानी हर बार जिंदगी,*
*निभा रहे थे फर्ज क...क्या बुराई थी उसमें ? (आज जो भी लिख रही हूँ, शायद उसका ओर-छोर आपको समझ ना आये, क्योंकि
मन बहुत विचलित है।)
क्या बुराई थी उसमें ? डॉक्टर बन रही थी वो ...बन जाती तो न जाने कितनों को
मौत के मुंह से निकाल लाती वो। लेकिन दुराचारियों ने उसे ही मौत के मुंह
में धकेल दिया !! कितने अरमान से, कितने परिश्रम से वो यहाँ तक पहुंची
होगी। कितनी तपस्या की होगी उसने और उसके परिजनों ने। लेकिन कुछ ही मिनटों
में सब कुछ स्वाहा हो गया.
" कल हो न हो..........." दिनांक २१.१२.१२ को दुनिया खत्म हो जायेगी | कोई पिंड हमारी धरती से टकराएगा
और हम खंड खंड हो बिखर जायेंगे | ऐसी भविष्यवाणी की गई है | कहते हैं 'माया
कलेंडर' में २१.१२.१२ के बाद की तिथि ही अंकित नहीं है |
ऐसा हो या न हो ,कौन जानता है परन्तु जब कभी भी अंत होगा तो ऐसे ही होगा. शुक्र है... नज़र अंदाज़ कर देते हैं हम
छेड़छाड़
दहलते हैं दरिंदगी पर
शुक्र है...
अभी हमें गुस्सा भी आता है!
देख लेते हैं
आइटम साँग
बच्चों के साथ बैठकर
नहीं देख पाते
ब्लू फिल्म
शुक्र है...
अभी हमें शर्म भी आती है!
करते हैं भ्रूण हत्या
बेटे की चाहत में
अच्छी लगती है
दहेज की रकम
बहू को
मानते हैं लक्ष्मी
बेटियों का करते हैं
कंगाल होकर भी दान
शुक्र है... |मैं कद्र करती हूँ एक ऐसा इंसान जो सच के लिये जीता हो... त्याग,
सदभावना में विश्वास हो..
मैं भी एक ऐसे इंसान को जानती हूँ
सच में ऐसे लोग बहुत कम होते हैं..
कुछ पंक्तियाँ मेरी तरफ से..
वो आत्मविश्वास जिससे
खुद आगे बढ़ते जाये
तलाश ले मंज़िल
उन हौसलों की जो
अत्यधिक अटूट हैं
मैं कद्र करती हूँ ।...
Alok Khareजी ने ब्लॉग 4 वार्ता पर लिखा है, "आज जब पूरा देश एक बेटी, बहिन की हुयी दुर्दशा पर आहत है! लोग बाग़ आज ये सोचने लगे हैं की बेटी का बाप होना या भाई होना कोई पाप तो नही है!
बस उसी को समर्पित ये कविता समर्पित ..
दादा दादी, नाना नानी,
सबकी राजदुलारी बिटिया
मम्मी पापा , चाचा चाची
के आँखों कि ज्योति बिटिया
मामा बन हुआ बाबरा मन
गोद लिए घूमू इस उपबन
जब चहक उठती किलकारी इसकी
घर -आँगन कि खिलती बगिया
झूम उठता मन मयूर हे मेरा
मैं हूँ मामा, ये मेरी बिटिया
माँ माँ से बनता मामा है
जुग जुग जिए ये रानी बिटिया
दादा दादी, नाना नानी,
सबकी राजदुलारी बिटिया......"
...
बस उसी को समर्पित ये कविता समर्पित ..
दादा दादी, नाना नानी,
सबकी राजदुलारी बिटिया
मम्मी पापा , चाचा चाची
के आँखों कि ज्योति बिटिया
मामा बन हुआ बाबरा मन
गोद लिए घूमू इस उपबन
जब चहक उठती किलकारी इसकी
घर -आँगन कि खिलती बगिया
झूम उठता मन मयूर हे मेरा
मैं हूँ मामा, ये मेरी बिटिया
माँ माँ से बनता मामा है
जुग जुग जिए ये रानी बिटिया
दादा दादी, नाना नानी,
सबकी राजदुलारी बिटिया......"
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6 टिप्पणियाँ:
आभार संध्या जी .....गहन वार्ता में मेरी रचना को स्थान दिया ...!!
बहुत ही सुन्दर सूत्र..
बहुत सुंदर महत्वपूर्ण वार्ता ..
सजा की चिंता अपराधी कम करते हैं ..
समाज की मानसिकता को बदलने का प्रयास हो ..
जिम्मेदार लोग अपनी जिम्मेदारी समझें !!
हर लिंक का लेखक देश की दुर्दशा से आहत है!सबके मन में एक से विचारों की लहरें बह रही हैं, हर दुखी मन बस एक ही चाहत का आकांक्षी है....पर बेबसी..निराशा...दुख और आंसू;..
लगता क्या बस अब यही हमारा सहारा है....
,पठनीय सुन्दर वार्ता ..
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Thank
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