शुक्रवार, 14 दिसंबर 2012

ओ राँझेया ....देख वे तेरी हीर दीवानी होयी !!!...ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार.....ये किनारा भी , मैं तुम्हें दे दूँ... वो किनारा भी , मैं तुम्हें दे दूँ ये गझिन गारा भी , मैं तुम्हें दे दूँ और ये धवल धारा भी , मैं तुम्हें दे दूँ मेट कर अपनी बनावट , मैं ढह जाऊँ तेरे अपरिमित ज्वार को , मैं सह जाऊँ ये तनु तरलता भी , मैं तुम्हें दे दूँ ये मृदु मधुरता भी , मैं तुम्हें दे दूँ ये चटुल चपलता भी , मैं तुम्हें दे दूँ और ये उग्र उच्छ्रिंखलता भी , मैं तुम्हें दे दूँ तेरी हर साँस में , ऐसे मैं बह जाऊँ हर साँस की गाथा , हर किसी से कह जाऊँ ये परिप्लव प्राण भी , मैं तुम्हें दे दूँ ये निवद्द निर्वाण भी , मैं तुम्हें दे दूँ ये अमित अभिमान भी , मैं तुम्हें दे दूँ और ये अमर आत्मदान भी... लीजिये प्रस्तुत है आज की वार्ता इन लिंक्स के साथ...
मुर्दा इंसानों की भीड़ में गुमनाम ज़िंदगी !!! अखबार। इन दिनों दुनिया की सबसे खतरनाक वस्तु जान पड़ता है...जो दिल में एक चुभन सी पैदा करता है और घोर निराशावाद की ओर धकेलता नज़र आता है। ये मैं तब कह रहा हूं जबकि मैं विधिवत् जनसंचार एवं पत्रकारिता में परास्नातक उपाधि ग्रहण कर... के वतन बदर हों हम तुम मनुष्य की बुद्धि में एक दौड़ बैठी हुई है। वह हरदम इसी में बना रहता है। दौड़ने का विषय और लोभ कुछ भी हो सकता है। इस दुनिया की श्रेष्ठ वस्तुओं को प्राप्त करने की इस दौड़ में दौड़ते हुये को देख कर हर कोई मुसकुराता है।  मैं अहंकारअहंकार बोल उठा? 1* पिताजी ने एक दिन कहा तुम मेरी तरह मत बनना अन्यथा मेरी भांति मरने के बाद लोग तुम्हें भी मूर्ख कहेंगे...

ये बिरही सुर कोशिशों साधे नहीं जाते - * * *पारिजात **जिस घड़ी निःशब्द ** झरते हैं धरती की गोद में गोपियां पैर की झांझर उतार कर दबे पाँव लौटती हैं रास से . रात की तारों जड़ी ओढ़नी सिमटती . मात्र एक शब्द मात्र एक 'शब्द' की घनघोर टंकार ने ** उसकी समस्त चेतना को संज्ञाशून्य कर दिया है ! उस एक शब्द का अंगार सदियों से उसकी अन्तरात्मा को पल-पल झुलसा कर राख कर रहा है ! चकित हूँ कि...चाह है उसकी मुझे पागल बनायेचाह है उसकी मुझे पागल बनाये, बेवजह उड़ता हुआ बादल बनाये, लोग देखेंगे जमीं से आसमां तक, रेत में सूखा घना जंगल बनाये, जान के दुखती रगों को छेड़कर, दर्द की थोड़ी बहुत हलचल बनाये, ...

लो !!! टूट के बिखर गई ...मेरी भी माला ... - *मेरा मैला आँचल न देख * *मेरी तुझसे ये दुहाई है ,* *मैंने अपनी साफ़गोई के नीचे * *मखमली चादर बिछाई है ||* --अकेला *न जाने यह जीवन में, आया कैसा... .आईना - ये कैसी कशमकश है कल दिन भर उस से बात नहीं हुई और मैं बार बार उसे ही सोचती रही कि अभी फ्री होगा अब मुझे उसका फोन आएगा, मेरे मोबिल पर अभी उसका कोई sms आएगा,... .कल्पना सी साकार हो रही ...!! - स्निग्ध उज्जवल चन्द्र ललाट पर ..... विस्तृत सुमुखी सयानी चन्द्रिका ....भुवन पर .... निखरी है स्निग्धता .. बिखरी है चन्द्रिका ......... पावस ऋतु की मधु बेला ... बरस रहा है मधुरस ... सरस हुआ है मन .. बादल की घनन घनन ... झींगुर की झनन झनन .. जैसे लगे बाज रही ... ... किंकनी की खनन खनन .. मन करता मनन मनन... धन्य हो रहा जीवन प्रतिक्षण.. चांदनी स्निग्ध स्वर्ग सी ... विभा बिखेर रही .. डाल-डाल झूल रही ... बेलरिया फूल रही.... पात पात झूम रही .... झूम झूम लूम रही .... प्रीति मन चहक रही .. रात रानी महक रही .... शीतल समीर साँय साँय डोले ..

सहकारी सदन में संगोष्ठी आयोजित - छत्तीसगढ़ में सहकारिता आन्दोलन को मिला व्यापक जनाधार - अशोक बजाज मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार के नौ वर्ष पूर्ण होने और उनके ..दो मिनट बस... - * फेसबुक के एक स्टेटस से प्रेरित - "मैं हाउस वाइफ हूं और घर में कुछ काम नहीं होता है।" * उठिये उठिये *परिभाषा : *उठ रही हूं .... पानी नल में आये या ना आये... और ट्रेन छूट गई - नवम्बर में एक ऐसा अदभुत योग बन रहा था कि मुझे अपने खाते से मात्र दो छुट्टियां खर्च करके उनके बदले में आठ छुट्टियां मिल रही थीं। यह योग बीस से सत्ताईस नवम्ब... 

सुख से विनती - रहो रहो सुख कुछ और दिन रहो मेरे साथ कुछ दिन और साथ रहने का दे दो सौगात फिर तो झेलना है दुख जीवन के पचम से यह जो भ्रांति, अकर्म, अविश्वास, अशांति और निजता की ...  एक गीत -शायद मुझसे ही मिलना था - चित्र -गूगल से साभार एक गीत -शायद मुझसे ही मिलना था बहुत दिनों से गायब कोई पंछी ताल नहाने आया | चोंच लड़ाकर गीत सुनाकर फिर -फिर हमें रिझाने आया | ... ओ राँझेया ............देख वे तेरी हीर दीवानी होयी !!! भीगते मौसम की कराहटें जैसे जिस्म की खाल में कोई रेशमी बूंटे टाँग रहा हो तेज़ाब में सुईयाँ डुबा डुबाकर … देख ना कितनी खूबसूरत कशीदाकारी हुई है रोम- रोम पर पड़े फफोलों पर तेरा नाम ही उभर कर आया है अब कौन चीरे उन फोड़ों को जिन पर महबूब का नाम उभरा हो जीने का मज़ा तो अब आएगा जब टीस में भी तेरा अक्स नज़र आएगा मैंने मांग ली है दुआ रब...

एक संगीतमय कहानी - महफि‍ल - एक संगीतमय कहानी दीप्‍ति के साथ......महफि‍ल रचना - वि‍जय ठक्‍कर सोहा और वि‍श्‍वराज दो पुराने साथी जब बरसों बाद मि‍ले, तो यादों का सि‍लसि‍ला थमने क...भ्रम के कुहासे को छांटने का वक्त - *चन्द्रिका प्रसाद चन्द्र* के कुहासे को छांटने का वक्त सं सार इस बात को बिना न-नुकुर के स्वीकारता है कि भारतीय सभ्यता और संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृति...  मलाल है जिंदगी से ,..... - क्यों मिलता है ऐसा हाल, मलाल है , जिंदगी से , क्या पहनने , ओढ़ने को सिर्फ दर्द ही हैं, सवाल है जिंदगी से- भूख, कचरों में ढूंढ़ थ...

सच का सामना

लगभग एक वर्ष से हिंदी ब्लॉग जगत के चर्चित ब्लॉगर ललित शर्मा के साथ राजस्थान में अलवर जयपुर के पास प्रसिद्ध भानगढ़ के भुतहा किले की यात्रा पर चलने के कार्यक्रम पर चर्चा होती रही| ललित जी के साथ मैं भी इस चर्चित किले में जाने के लिए वर्षों से उत्सुक था आखिर इतने चर्चित किले में जाने की अभिलाषा कोई कैसे छोड़ सकता है| आखिर ११ दिसंबर को ललित जी के साथ भानगढ़ जाने का मौका मिल ही गया| ललित जी एक शादी समारोह में भाग लेने सीकर आये हुए थे, सो हमने ११ दिसंबर को आपस में जयपुर से एक साथ होकर भानगढ़ जाने का कार्यक्रम बनाया| जयपुर से भानगढ़ जाने की बस सुविधा व रास्ते के बारे में जानकारी लेने के लिए मैंने अपने जयपुर के एक पत्रकार मित्र प्रदीप शेखावत को फोन किया तो इनका जबाब था- “कहाँ बसों में धक्के खायेंगे, सुबह जयपुर पहुँचकर मुझे फोन कर देना मैं आपको अपनी कार से भानगढ़ किले की यात्रा करवा दूँगा साथ ही आपकी कुलदेवी जमवाय माता के दर्शन भी करवा दूँगा|”..


ओ..त्तेरी की...

 

अगली वार्ता तक के लिए दीजिये इजाज़त नमस्कार........ 

8 टिप्पणियाँ:

उत्कृष्ट लिंक चयन .....और बीच मे अपनी रचना देख सुबह सुबह प्रभु प्रसाद मिल गया ....
हृदय से आभार संध्या जी .....आपने वार्ता के लिए मेरी कृति चुनी ......

बहुत बहुत धन्यवाद संध्या जी मेरी रचना को आपने आज की वार्ता में सम्मिलित किया ! सभी लिंक्स बहुत ही आकर्षक एवं अच्छे हैं ! ह्रदय से आभार आपका !

आदरणीया संध्या जी बेहद चुनिन्दा और उम्दा लिंक्स शामिल हैं वार्ता में मेरी रचना को स्थान देने हेतु ह्रदय के अन्तःस्थल से धन्यवाद.

बहुत बढ़िया लिंक्स मिले .... आभार

अति सुन्दर वार्ता..हार्दिक आभार संध्या जी..

कृपया मेरे ब्लॉग "शंखनाद" को ब्लोग्दय में जोड़ने का कष्ट करें जिसका पता http://www.shnkhnaad.com/ है हालांकि मेरा ब्लॉग आपका पहले से जोड़ा हुआ था लेकिन पहले उसका पता http://bhartiyshankhnaad.blogspot.com/ था उसको देख लीजियेगा और उसको ठीक करने कि कृपा करें !!

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