शनिवार, 29 दिसंबर 2012

क्या करोगे नहीं लिखेंगे रिपोर्ट...ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार....कैसी सर्दी आई है ? .धुंध कोहरे की जमी दिन भर धूप छुपी शरमायी है मफ़लर, टोपी, शॉल और स्वेटर निकला कंबल, रज़ाई है देखो सर्दी आई है .... हीटर, गीजर दौढ़ता मीटर सुस्ती मे अब चलता फ्रीजर हाट मे सस्ती मिलती गाज़र हलवे की रुत आई है देखो सर्दी आई है ..... मूँगफली के दाने टूटते रेवड़ी- गज़क के पैकेट खुलते चाय -कॉफी की चुस्की लेते गुड़ देख चीनी लजाई है देखो सर्दी आई है ...... सिर से पैर तक खुद को ढ़क कर मौसम के अमृत को चख कर बाहर जब नज़र घुमाई है नंगे जिस्मों पर ओस की बूंदें मुझे कभी समझ न आई है कैसी सर्दी आई है ? प्रस्तुत है आज की वार्ता...

तुझे कैसे भूल गई ! - भुला दिया ! रात भर करवटें बदलने का फैसला मैंने खुद किया था, तो किसी का क्या कुसूर :-( गूगल में मिति का नाम ढूँढा ... फेसबुक पर खोज की यहाँ तक ऑरकुट ... घर - बहुत कमज़ोर दीवारें इस घर की, दबा लेता अन्दर दर्द की सिसकियाँ, कहीं आवाज़ से भरभरा कर गिर न जायें...आतुर हैं---भरने को ड्योढी पर मेरे - जाते हुए वक्त को(हर रोज)पीछे छोड कर उन, असीमित--- घाटिओं के उस पार चलती रहती हूं------- कल के सिंदूरी-सूरज का, थामने हाथ एक सूरज नहीं ह... 

तिरे मयखाने में ....... वह जानेगा क्या मजा है पीने पिलाने में, जो हो आया है इक बार तिरे मयखाने में। दुश्मनों को भी गले मिलते देखा हमने, दीवानों की महफ़िल लगी तिरे मयखाने में। ...नजरबन्द ... - आजकल शब्दों की हिम्मत भी हवा देखकर बढ़ सी गयी है ... न जाने क्यूँ वे अपना आक्रोश मुझपर ही अजीब तरह से व्यक्त कर रहे हैं मैं निकल जाने को भी कहूँ तो कुछ बुदब... चाहत - हम चाहते हैं तू जाड़े में चाय के गर्म कुल्हड़ की तरह मिले होठों को छुए पीते रहें तुझे चुस्कियों में, गर्मी में बर्फ के गोले की तरह नाचती रहे हमारे ...

क्या करोगे नहीं लिखेंगे रिपोर्ट... - वर्दी वाला गुण्डा, पुलिस को कोई यूं ही नहीं कहता ! छत्तीसगढ़ में तो कम से कम हर वर्दी वाला अपनी मर्जी का मालिक है । उसे लगेगा कि रिपोर्ट लिखी जाय तो लिखा जाय... पहले नए साल की शुभकामनाएँ देंगे और फिर खूब गालियाँ........Happy New Year.........!!???? - उस रात मैं बहुत व्याकुल था। वैसे यहाँ व्याकुल शब्द मुझे कुछ जम नहीं रहा है क्योंकि इसका प्रयोग अक्सर कृष्ण के वियोग में गोप गोपियों के लिए किया जाता है कि... नए साल में फिर से करेंगे मिलकर नए घोटाले----- हम भारत वाले----हम भारत वाले-------! - साल ख़त्म होने को आया, दुनिया बहुत बोल चुकी। यूं समझिये कि साल भर बोलती रही इसलिए अब मैं क्या बोलू, और सिर्फ मेरे बोलने भर से होगा भी क्या ? वैसे भी मुहंफ...   
  
बलात्कारियों को सरकारी प्रस्ताव - आदरणीय बलात्कारियों पहले तो आप हैरान मत होना कि हम कैसे आपको आदरणीय कह रहे हैं। बलात्कार की घटना पर चहुंओर कड़े कदम की मांग पर घिरी उपीए सरकार के मुखिया...अब बलात्‍कारी भी होंगे ऑन लाइन ! - *#उलटी चप्‍पल* अगर आप बलात्‍कारियों से नरफत करते हैं, और आप उनकी सुपारी देना चाहते हैं, तो आपके लिए एक अच्‍छी ख़बर है कि सरकार बहुत जल्‍द बलात्‍कारियों की ...बलात्‍कारियों की गुप्‍त मीटिंग - *//व्‍यंग्‍य-प्रमोद ताम्‍बट//* अभी-अभी खबर मिली है कि दिल्‍ली में वरिष्‍ठ बलात्‍कारियों की एक गुप्‍त मीटिंग हुई है। इस क्‍लोज़ मीटिंग में बड़ी संख्‍या में ... 

ईश्वर - अस्तित्व - यदि यह सच है कि ईश्वर ही सर्वत्र, प्रत्येक स्थिति में, कर्म में, अकर्म में, महाशक्तिमान बन आनन्द-सुख, दुःख-व्यवथा, अन्तस्-मर्म में कण-कण में व्याप्त है फिर ह...निरमोहिया राम की सीता-कथा - चन्द्रिका प्रसाद चन्द्र लोक की कसौटी पर राम की मर्यादा भारतीय लोकमानस, देवत्व से अधिक मनुष्यत्व को महत्व देता है। लोक कथाओं, लोक गीतों में राम, कृष्ण, शिव ... शिरड़ी : बाबा के वीआईपी ... - *बात* बड़े दिन यानि इसी 25 दिसंबर की है। बच्चों के स्कूल की छुट्टी थी, मुझे भी आफिस से छुट्टी मिल गई, सोचा चलो बड़े दिन पर कुछ बड़ा करते हैं, शिरड़ी चल क...

 लेजा अपना चाँद- - *लेजा अपना चाँद, * *दे जा मेरा अँधेरा .....* *कम से कम नजर* *नहीं आएगा **वो चेहरा ...* *जो हमसाया * *मेरीदुनियां का * *सरमाया था...| * *जिसमें लगे दाग* *म...तुम्हारा साथ .....तुम्हारे साथ चला नहीं जाता नहीं सहन होती अब मुझसे तुम्हारी बेरुखी ....... ये बेरुखी मुझे लहुलुहान किये दे रही है , कब तक पुकारूँ तुम्हें , जब हो मेरी हर पुकार ही अनसुनी ... नहीं पुकारुगी तुम्हे ना ही मुड़ ,थाम कर कदम देखूंगी , तुम्हारी तरफ कातर निगाहों से ....चाहत हम चाहते हैं तू जाड़े में चाय के गर्म कुल्हड़ की तरह मिले होठों को छुए पीते रहें तुझे चुस्कियों में, गर्मी में बर्फ के गोले की तरह नाचती रहे हमारे लपलपाते जीभ के चारों ओर लट्टू की तरह, सावन में बारिष के बूदों की तरह झमाझम बरसे भीगते रहें देर तक और तू चाहती है...

दीजिये इजाज़त नमस्कार........

3 टिप्पणियाँ:

ठंड पसारे पैर, स्तब्ध देश है आज।

बढिया वार्ता,
एक से बढकर एक लिंक्स

बहुत सुंदर वार्ता ..
अच्‍छे लिंक्‍स मिले !!

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