आप सबों को संगीता पुरी का नमस्कार , भौतिकी विशेषज्ञ सर सीवी रमन ने 28 फरवरी 1928 को ही प्रकाश के प्रकीर्णन और रमन प्रभाव की खोज घोषणा की थी , जिसके लिए उन्हें 1939 में नोबेल पुरस्कार दिया गया था। वे एक ऐसे महान आविष्कारक थे, जो न सिर्फ लाखों भारतीयों के लिए बल्कि दुनियाभर के लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। 'रमन प्रभाव' की खोज भारतीय भौतिक शास्त्री सर सीवी रमन द्वारा दुनिया को दिया गया विशिष्ट उपहार है। समाज में जागरूकता लाने और वैज्ञानिक सोच पैदा करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तत्वावधान में हर साल 28 फरवरी को भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। 28 फरवरी सन् 1928 को ने अपनी खोज की घोषणा की थी। इसी खोज के लिये उन्हे 1939 में नोबल पुरस्कार दिया गया था। हमलोगों को भी समाज से हर प्रकार की भ्रांतियों को दूर करने और वैज्ञानिक सिद्धांतों के प्रचार प्रसार के लिए कृतसंकल्प होना चाहिए। अब चलते हैं कुछ नए चिट्ठों की ण्लकियों के साथ आज की ब्लॉग4वार्ता पर ...
गब्बर सिंह का चरित्र चित्रण
1. सादा जीवन, उच्च विचार: उसके जीने का ढंग बड़ा सरल था. पुराने और मैले कपड़े, बढ़ी हुई दाढ़ी, महीनों से जंग खाते दांत और पहाड़ों पर खानाबदोश जीवन. जैसे मध्यकालीन भारत का फकीर हो. जीवन में अपने लक्ष्य की ओर इतना समर्पित कि ऐशो-आराम और विलासिता के लिए एक पल की भी फुर्सत नहीं. और विचारों में उत्कृष्टता के क्या कहने! 'जो डर गया, सो मर गया' जैसे संवादों से उसने जीवन की क्षणभंगुरता पर प्रकाश डाला था.
२. दयालु प्रवृत्ति: ठाकुर ने उसे अपने हाथों से पकड़ा था. इसलिए उसने ठाकुर के सिर्फ हाथों को सज़ा दी. अगर वो चाहता तो गर्दन भी काट सकता था. पर उसके ममतापूर्ण और करुणामय ह्रदय ने उसे ऐसा करने से रोक दिया.
रामायण में भगवान श्रीराम के ऐसे ही सोलह गुण बताए गए हैं, जो आज भी लीडरशीप के अहम सूत्र हैं। जानते इन गुणों को आज के संदर्भ में
गुणवान (ज्ञानी व हुनरमंद)
- वीर्यवान (स्वस्थ्य, संयमी और हष्ट-पुष्ट)
- धर्मज्ञ (धर्म के साथ प्रेम, सेवा और मदद करने वाला)
- कृतज्ञ (विनम्रता और अपनत्व से भरा)
- सत्य (सच बोलने वाला, ईमानदार)
- दृढ़प्रतिज्ञ (मजबूत हौंसले वाला)
- सदाचारी (अच्छा व्यवहार, विचार)
सर्द राहो पे अरसे से चलते हुए,
जब मेरे विश्वास की ठिठुरन बढ़ी,
तभी होसलो की कोहरायी धूप ने
मुंडेर पे होले से दस्तक दी |
धूप देख, फिर से रूह में
अरमानो की बदली छाई,
शितिलता की चट्टानें तोड़,
हिम्मत की कुछ लहरें आई ।
अक्सर ये शब्द हमने अपने घरो में सुना है वे जिनकी शादी हो चुकी है या जो विवाह की दहलीज पर खड़े है ऐसे प्यार भरे लुभावने शब्द मन को गुदगुदाते है! जैसे की अजी सुनते हो,मुन्ने के पापा,जरा सुनियेगा इसी तरह पति का पत्नी के लिए संबोधन अरी ओ भागवान,करमा वालिये ये प्यार की मिठास लिए शब्द पति पत्नी के दैनिक दिनचर्या में हुई थकावट को गायब कर देते है!परन्तु वर्तमान परिवेश में आधुनिकता का समावेश लिए परिवारों में पति पत्निया इन शब्दों को भूलते जा रहे है! अब पति तो पति, पत्निया भी अपने पति को उसके नाम से संबोधित करती है! रिश्ते की बनावट और बुनावट किस पर निर्भर करती है!
प्रख्यात कथाकार श्री गिरिराज किशोर ने बांदा में देवेन्द्र नाथ खरे स्मृति व्याख्यान में बोलते हुए कहा अमेरिका वैश्वीकरण का जनक है. इसके मूल में एक देश का दूसरे देश के प्रति लालच है.अमेरिका सोचता है हम आप को अमुक वस्तु बेचते है तो आप हमें क्या देंगे, अमेरिका के पास इतने आग्नेय अस्त्र -शस्त्र है की वह दुनिया को दस बार नस्ट कर सकता है.हम लोग खेती पर निर्भर है अमेरिका यंत्रीकृत है.अमेरिका के लालच के कई देश शिकार है. हम अपने बच्चो को बड़े गर्व एंव खुश होकर अमेरिका भेज रहे है.हम अमेरिका की चाल को नहीं समझ पाते है.विश्व की आर्थिक मंदी का जनक अमेरिका ही है.मंदी के दौरान कुछ भारतीय परिवारों ने अमेरिका में त्रासदी झेली है वह अकल्पनीय है.
भारत में बुध हुए,गाँधी हुए,जैन हुए हम भारतीय अहिंसा को जितनी गहरे से समझ सकते है अन्य कोई नहीं.
भारत में बुध हुए,गाँधी हुए,जैन हुए हम भारतीय अहिंसा को जितनी गहरे से समझ सकते है अन्य कोई नहीं.
‘‘भारतभूमि विभिन्न धर्मों के लोगों को सहोदर के रूप में मानती है और उसी रूप में उनका लालन-पालन करती है‘‘
आचार्य चाणक्य का यह वाक्य नैतिकता और विष्वबंधुत्वता की दृश्टि से बिल्कुल सत्य है। परंतु राजसत्ता को बचाने की चुनौती और उसके फलस्वरूप की जाने वाली सांप्रदायिक राजनीति विभिन्न मतों एवं धर्मों के बीच भेद का और राश्ट्र के विखण्डन का कारण बनती है। सांप्रदायिकता की इस राजनीति का इतिहास पुराना है, जिस पर दृश्टि डालना हमारे लिए आवष्यक है।
सांप्रदायिक राजनीति का प्रारंभ-
दो ध्रुवों को साधने की कला को ही सांप्रदायिक राजनीति भी कहा जा सकता है। चाणक्य के समय में जब भारत में नंद वंष का षासन चल रहा था, तभी से इस प्रकार की राजनीति का प्रारंभ माना जाता है।
डलहोजी की यात्रा की आज अंतिम किस्त हे --कल ही हम आए थे --वेसे तो हमारा २दिन का रूम बुक था पर हमारे पास समय थोडा हे --कल हमे वापस बाम्बे की गाडी पकडनी हे ---सुबह देर तक सोते रहे --ठंड बहुत थी --पर धर्मशाला में पर्याप्त रजाइयां थी |इसलिए कोई परेशानी नही हुई--चाय सुबह ही धर्मशाला के सेवक दे गए और नाश्ते के लिए बोल गए ---यहाँ बड़ी ठंडी हे ---हम सब रेडी होकर पहले माता के मन्दिर गए --दर्शन करके जेसे ही बाहर आए --वाह ! क्या समा था --देखकर तबियत खुश हो गई --मोसम एकदम साफ था --दूर तक धुप फेली हुई थी शिव जी की प्रतिमा धुप में खिल रही थी--दूर पहाड़ो पर बर्फ दिखाई दे रही थी --धुप में सोने की तरह चमक रही थी
गंगा के मैले होने की चर्चा गाहे-बगाहे होती रहती है। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद केंद्र की सत्ता में आए राजीव गांधी ने गंगा ऐक्शन प्लान शुरू किया था। उसका मकसद तो गंगा की सफाई था, लेकिन कहा जाता है कि वह ऐक्शन प्लान नेता और इंजीनियरों का प्लान होकर रह गया। इसमें नौ सौ करोड़ रुपये बरबाद हो गए। गंगा की सफाई को लेकर एक बार फिर चर्चा जोरों पर है। दूरदर्शन ने भी विगत 26 दिसंबर को अपने स्टूडियों में ‘गंगा पंचायत’ लगाई थी।
अकसर गंगा पर बातचीत का मतलब यही समझा जाता है कि यह हिंदुओं की धार्मिकता का मामला है। सामान्य-सी जानकारी दी जाती है कि नागर सभ्यता नदियों के किनारे बसी है। यदि गंगा क्रमश: मैली होती गई, तो इसकी वजह नगर सभ्यता का पुराने अर्थों में विकराल होते जाना है। आंकड़े भी निकाले गए हैं कि गंगा में सबसे ज्यादा प्रदूषण नगरपालिका की नालियों से निकलने वाली गंदगी के कारण है।
पोपटराव पवार हमारे युवा पीढ़ी के सबसे अग्रणी जल योद्धाओं में से एक हैं। वैसे तो पवार का मूल निवास स्थान महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले का हिवरे बाजार गाँव है, लेकिन इनकी शिक्षा पुणे शहर में हुई,जहां के विश्वविद्यालय से उन्होंने एम कॉम की परीक्षा उत्तीर्ण की। किस प्रकार पवार गांव के विकास और समृद्धि के लिए समर्पित हुए, यह भी एक मजेदार घटना है।
सन् 1972 से पहले तक उनका हिवरे बाजार गांव संपन्न और आत्मनिर्भर था, लेकिन सन् 1972 के सूखे और अकाल की स्थिति बनने से इस गांव का पतन होने लगा। यह स्थिति सन् 1989 तक बनी रही, क्योंकि यहां पेय जल और सिंचाई के जल के अभाव में लोगों को भरपेट खाना नहीं मिल पा रहा था। मवेशी मर रहे थे और लोग बाहर काम की तलाश में भटकते रहते थे। पवार का इसी गांव में एक फार्म हाउस है, जहां वे कुछ दिनों के लिए आए हुए थे। उन्हें गांव की स्थिति न देखी गई और फिर उन्होंने गांव के सुधार और विकास को अपने जीवन का मकसद बना लिया और गांववालों के अनुरोध पर सरपंच बने।
पंछियों ने चहचहाना क्यूँ छोड़ दी है आजकल
शायद दरख्तों पर है धमाकों की गूँज आजकल
होली के दिनों में भी बंद हैं रंगों की फैक्ट्रियां
रंगों की जगह खून की बढ़ी है मांग आजकल
कभी बनारस , कभी दिल्ली तो कभी मुम्बई
हर जगह धमाकों की बरसात है आजकल
शायद दरख्तों पर है धमाकों की गूँज आजकल
होली के दिनों में भी बंद हैं रंगों की फैक्ट्रियां
रंगों की जगह खून की बढ़ी है मांग आजकल
कभी बनारस , कभी दिल्ली तो कभी मुम्बई
हर जगह धमाकों की बरसात है आजकल
प्रयाग की रेती में हर साल माघ के महीने में देश विदेश से तथा कथित श्रद्धालू अपने पाप धोने गंगा की गोद में आते है. सबके अपने अपने स्वार्थ है जिसके वशीभूत होकर वे गंगा में दुबकी लगा कर असीमित सुखों का जखीरा अपने नाम करने की उत्कट लालसा रखते है. ये कैसी श्रद्धा है जो यह नहीं देखती कि जिस गंगा को हम माँ कहते है उसी को गन्दा करने पर तुले है. यह तो दोगलापन हुआ. यह जड़ता का भी द्योतक है. मै गंगा के हालत का जायजा लेने कल ८ फ़रवरी को इलाहाबाद गया था
वो रिकार्ड जो होगें निशाने पर ....
-एक पारी में सर्वाधिक 17 चौके मारने का रिकॉर्ड भारत के सफलतम पूर्व कप्तान सौरव गांगुली के नाम है। उन्होंने 1999 में श्रीलंका के खिलाफ एक मैच में 17 चौके जड़े थे।
- एक पारी में सबसे ज्यादा 8 छक्के मारने का रिकॉर्ड रिकी पोंटिंग के नाम दर्ज है। उन्होंने 2003 में भारत के खिलाफ फाइनल मैच में ये छक्के जड़े थे।
- सचिन के नाम विश्व कप में सर्वाधिक आठ बार मैन ऑफ द मैच पुरस्कार जीतने का रिकार्ड है।
- मौजूदा भारतीय कोच और दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाज गैरी कर्स्टन ने 1996 के वर्ल्ड कप में संयुक्त अरब अमीरात के खिलाफ नाबाद 188 रन बनाए थे। यह किसी भी बल्लेबाज का वर्ल्डकप में उच्चत्तम व्यक्तिगत स्कोर हे।
- एक पारी में सर्वाधिक 17 चौके मारने का रिकॉर्ड भारत के सफलतम पूर्व कप्तान सौरव गांगुली के नाम है। उन्होंने 1999 में श्रीलंका के खिलाफ एक मैच में 17 चौके जड़े थे।
संवादसेतु अर्थव्यवस्था ..चवन्नी के बाद अब अठन्नी का नम्बर ....
सिक्के पिघलाकर जेवर बनाने वालों की खैर नहीं
सरकार सिक्के पिघलाने को सं™ोय अपराध घोषित करने के साथ अपराधी को 7 साल की सजा देने का प्रावधान करने जा रही
रोशन/एसएनबी नई दिल्ली। सिक्कों की लगातार हो रही कमी से परेशान सरकार दूरगामी निर्णय लेने जा रही है। सरकार धीरे-धीरे सिक्कों का चलन कम करेगी। इस सिलसिले मेंचवन्नी गायब हो चुकी है। अब सरकार अठन्नी को भी बाजार से वापस लेने पर विचार कर रही है। इसकी वजह है कि सिक्कों की धातु की कीमत उनके फेस वैल्यू से 60-70प्रतिशत अधिक है। जौहरी उन्हें पिघलाकर आर्टीफिशियल ज्यूलरी बना रहे हैं। सरकार सिक्का पिघलाने को सं™ोय अपराध और अपराधी को 7 साल तक सजा का प्रावधान करने जा रही है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में बृहस्पतिवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक में दो महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाने का प्रस्ताव है।
अनुराधा गोयल में पढिए .. गैजेट्स् में भी छलके प्यार ...
ऋचा चाहती है कि वह अपने वेलेंटाइन के लिए कुछ अलग खरीदे। कार्डस, टेडी बीयर, गुलदस्ते और चॉकलेट्स आदि पारंपरिक गिफ्ट्स में उसकी रुचि नहीं है। वह कुछ ऐसा खोज रही है, जो उसके वेलेंटाइन को खुश करने के साथ इस मौके को कुछ नया और यादगार भी बना दे।
नए गैजेट्स में रुचि रखने वाले उसके वेलेंटाइन के लिए कोई गैजेट ही देने से बढ़िया उपहार क्या हो सकता! आप भी यदि ऋचा की स्थिति में खुद को देख रहे हैं, तो आपके लिए हमने कुछ ऐसे ही गैजेट्स की तलाश की जो उपयोगी होने के साथ बेहद आकर्षक भी हैं। इन सुंदर और रोमांटिक गैजेट्स को आप मॉल्स, इलेक्ट्रॉनिक शॉप्स और खासतौर पर ऑनलाइन शॉपिंग करके खरीद सकते हैं। गैजेट्स का चयन करते समय हमने आपके बजट को भी ध्यान रखा है-
नए गैजेट्स में रुचि रखने वाले उसके वेलेंटाइन के लिए कोई गैजेट ही देने से बढ़िया उपहार क्या हो सकता! आप भी यदि ऋचा की स्थिति में खुद को देख रहे हैं, तो आपके लिए हमने कुछ ऐसे ही गैजेट्स की तलाश की जो उपयोगी होने के साथ बेहद आकर्षक भी हैं। इन सुंदर और रोमांटिक गैजेट्स को आप मॉल्स, इलेक्ट्रॉनिक शॉप्स और खासतौर पर ऑनलाइन शॉपिंग करके खरीद सकते हैं। गैजेट्स का चयन करते समय हमने आपके बजट को भी ध्यान रखा है-
अब इजाजत दीजिए ... मिलते हैं अगले सप्ताह पुन: कुछ नए चिट्ठों के साथ ...