शुक्रवार, 30 सितंबर 2011

बीवी के नाम ख़त, क्यूं न संभल के चलें -- ब्लॉग4वार्ता --- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, अन्ना ने जब से भ्रष्ट्राचार के विरोध में आन्दोलन किया तब से सेवा शुल्क में वृद्धि हो गयी है, उत्कोच के साथ रिस्क शुल्क भी जोड़ दिया गया है। कहीं पकड़ में आ गए घूस लेते हुए तो छूटने के लिए खर्च बढ गया है। जो काम 100 में होता था अब उसके 1000 हो गए हैं। 900 रुपए घूस लेने के रिस्क कव्हर के लिए जोड़ दिए। अब आम जनता को अधिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। भ्रष्ट्राचार खत्म तो नहीं हुआ वरन अब आम जन का खर्च बढ गया है। केन्द्र सरकार ने भी अन्ना के बिल को डस्टबीन में डाल दिया है। अब उसका कोई नाम लेवा ही नहीं है। जैसे एक आन्दोलन करने बाद दिल्ली जीत ली हो और अब दु:ख भरे दिन बीते रे भैया, सुख आयो रे, रंग जीवन में नया लायो रे। चलते हैं आज की ब्लॉग4वार्ता पर......।

बहुत अधिक जो मीठा बोले समझो कुछ तो गड़बड़ है *इस दुनिया में शातिर हैं तो अच्छे भी मिल जाते हैं* *जैसे कभी-कभी 'सहरा' में फूल नए खिल जाते हैं* * * *मेहनतवाली सूखी रोटी हमको लगती घी से तर* *मुफ़्तखोर इस दु...जनमदिन के मौके पर हुई दो ब्लॉगरों से पहली मुलाक़ातइस बार जनमदिन पर पोस्ट लिखना टलते चला आ रहा था क्योंकि सभी वेबसाईट्स के सर्वर बदले जा रहे थे और बिंदास तरीके से लिखने का समय ही नहीं मिला। सर्वर संबंधित का...पितरों के तीर्थ गया में (बनारस से बोध गया और गया तक की एक ज्ञान यात्रा -२) यात्रारंभ से आगे .... यह तो अच्छा हुआ हम बोध गया में ज्यादा देर बिना रुके पहले सीधे गया पहुंचें क्योकि कम से कम मेरे लिए तो बोध गया में रुकने और 'बोध' प्रा...तुम यहीं कहीं हो जब मंद पवन के झोंके से तरु की डाली हिलती है पंछी के कलरव से कानों में मिश्री घुलती है तब लगता है कि तुम यहीं - कहीं हो जब नदिया की कल - कल से मन ... ... मौत के मंजर हैं, क्यूं न संभल के चलें ! गाँव का हरेक शख्स उदास बैठा है 'उदय' हम रुक भी जाते, मगर जाना जरुरी है ! ... वो झूठा तो है लेकिन, बड़ा शातिर खिलाड़ी है बात ही बात में, मुझे वो अपना बाप कहता ह...

सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा बंजारा --- शाहनवाज़ - इंसान अकेला ही इस दुनिया में आया है और अकेला ही जाएगा... एक मशहूर कहावत है कि "खाली हाथ आएं है और खाली हाथ जाना है।" फिर भी हम हर वक्त, इसी जुस्तुजू में र...बी - 2 पिछले भाग से आगे ... उस सुबह की मुझे अब भी याद है। बी ने बालों में तेल लगाया, कंघी किया, माँग में कुमकुम टीका, आँखों में सुरमा लगाया और दाँतों तले पान दबा ...नवरात्रि पर्व -- मैं भी तो इक माँ हूँ माता ... मैं भी इक माँ हूँ माता ......... नवरात्रि पर्व की आपको हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएंअपन खाथे गूदा गूदा, हमला देथे बीजा बीजा --- छत्तीसगढ की विद्युत व्यवस्था चरमरा गयी है, सरपल्स बिजली होने का दावा करने वाले राज्य में विगत 4 दिनों से अघोषित विद्युत कटौती का सामना करना पड़ रहा है, बिज....ख़जाना कल्पनाओं के पंख लग गये मैं देखती रह गयी उन्हें असीम फलक पर उड़ते हुए... सपनों में रंग भरने लगे मैं देखती रह गयी उन्हें स्याह सिक्त होते हुए....... आशाओं की...

लता मंगेषकर की 82वें जन्मदिन पर उनके द्वारा पचास से अस्सी दशक तक गाये सुमधुर गीतों की सूची -मेलोडियस फिल्मी गीतों की बात हो और लता मंगेषकर का नाम न आए ऐसा हो ही नहीं सकता। जी हाँ, वही लता मंगेषकर जिन्होंने कल अपना वाँ जन्म दिन मनाया है। हमारी शुभक...किसी न किसी साथ, स्वयं को खड़ा पाता हूँ, -*हर वक्त मैं, कहीं न कहीं, किसी न किसी साथ, स्वयं को खड़ा पाता हूँ,* *कभी रेल हादसे में मारे गए मृतकों के परिजनों के साथ...मुआवजा पाने वाले लोगों की कतार मे...शर्मिला के साथ ये क्या-क्या हो रहा है...खुशदीप14 सितंबर को पोस्ट लिखी थी...क्या शर्मिला को प्रेम का हक नहीं...उस पोस्ट में मणिपुर में पिछले ग्यारह साल से आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट को हटाने की मा... बीवी के नाम ख़त नाजिम हिकमत तुर्की के महान कवि थे जिनकी कवितायेँ पूरी दुनिया में दमन और अत्याचार के खिलाफ लड़ने वाली जनता के बीच खूब लोकप्रिय हैं.उनके जीवन का अधिकांश समय ...ये मग़रिब से आती हवा न थी... अँधेरे में रहस्य का आलाप है. इसमें सिहर जाने का सुख है. वहां एक कुर्सी रखी है. बादलों के बरस जाने के बाद वह कुर्सी खुली जगह पर चली आया करती है. सर्द ...

वार्ता को देते हैं विराम मिलते हैं एक ब्रेक के बाद, राम राम................

गुरुवार, 29 सितंबर 2011

ब्लागिंग में भी श्राप और सासू माँ का टीवी -- ब्लॉग4वार्ता --- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, विद्युत समस्या जारी है, इसलिए फ़टाफ़ट कुछ लिंक प्रस्तुत हैं, चलते हैं आज जी वार्ता पर....आज का उमड़त घुमड़त विचार

वात, पित्त, कफ संतुलन जब जब बिगड़ा जाय। 
तरह तरह की व्याधि देह में खूब उत्पात मचाय॥

कानून का पालन कौन करे, हैं हम आज स्वतन्त्र ।
जिव्हा का हुकम है मानना चाहे बिगड़े पाचन तंत्र ॥ 

धन दौलत की चाह संग संग मार गई मंहगाई।
भाग- दौड़ आपा-धापी  में काया की सुध है गंवाई॥

रोग ग्रसित जब होत हैं, चंहूँ ओर नजर दौड़ाय।
वैद्य, चिकित्सक, डॉक्टर, कौन है मर्ज भगाय॥

नवरात्रि पर्व -- मैं भी तो इक माँ हूँ माता ... मैं भी इक माँ हूँ माता ......... नवरात्रि पर्व की आपको हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ! कैसा रहेगा आपके लिए 29 , 30 सितंबर और 1 अक्‍तूबर का दिन ?? 29 , 30 सितंबर और 1 अक्‍तूबर को मेष लग्‍नवालों की माता पक्ष , किसी भी प्रकार की छोटी या बडी संपत्ति की स्थिति में कुछ सुधार दिखेगा। उनका ध्‍यान धन ,...जोगिया से प्रीत किये दुःख होए - गरम कोट १९५५ आज सितम्बर २८ को स्वर सम्राज्ञी लता मंगेशकर का बयासीवां जन्म दिवस है। लता मंगेशकर का निस्संदेह इतिहास की उन नारियों में स्थान है जिन्होंने जन-मानस पर सबसे ज...खबर का असर न्यूज चेनल और न्यूज पेपर में आये दिन पढ़ते सुनते है खबर का असर.तब इसे एक मुस्कान के साथ पलट दिया जाता है ..व्यावसायिक कसरत,हर और हर कोई ये बताने की कोशिश...बातचीत टूकड़ों में जीती है SMS - एक आदमी चौराहे पर जाकर खड़ा हो गया। SMS - वो खड़ा है या कुछ सोच रहा है? SMS - वो इधर – उधर कुछ देखता रहा। SMS - वो किसी का इंतजार कर रहा है क्या? SMS -...

सासू माँ का टीवी - * * शांति कीतीन ननदें हैं। दो बड़ी और एकछोटी। सबसे बड़ी ननद सबसे पासरहती हैं पर लगाई-बुझाईके झंझटो से बहुत दूर रहतीहैं। न ऊधो का लेना न माधो कोदेना- वो अपन...मैं कुंदन हो जाउंगी *एक* दिन पूरा तप जाउंगी सच मैं कुंदन हो जाउंगी जिस दिन तुमसे छू जाउंगी हाँ मैं चन्दन हो जाउंगी मीठे तुम और तीखी मैं तुम पूरे और रीती मैं तुम्हे ल...छोटी बात: प्रणव दा की गुगली पर चिदम्बरम पगबाधा! प्रणव दा ने अपनी गुगली से चिदम्बरम पर पगबाधा आउट की ज़बरदस्त अपील की हैं. अम्पायर फैसला बैट्समैन के हक में दे रहे हैं, हालाँकि सभी खिलाड़ी और दर्शक जानते है...क्या कहूँ! ,,बस श्रद्धांजलि! हिमांशु जी : बीतता यौवन नहीं..! मेरी एक पोस्ट पर टीपते हुये सुहृद हिमांशु जी ने लिखा था : “....लाभ यह मिला कि अपनी एक पुरानी छोटी बह्र की ग़ज़ल के एक शे'र ...संजय दानी की ग़जल - जब फ़स्ले-उम्र सूख चुकी तब वो आई है, मरते समय इलाज़ से कुछ फ़ायदा नहीं... अब इश्क़ की गली में कोई पारसा नहीं,सुख, त्याग के सफ़र कोई जानता नहीं। ये दौर है हवस का सभी अपना सोचते,रिश्तों की अहमियत से कोई वास्ता नहीं। जब फ़स्ले-उम्र सूख...

कुछ तो था उसमे कुछ तो था उसमे शायद उसकी आदत बच्चियों सी जिद पकड़ने की और फिर खिलौना देख बच्चे जैसे खुश होने की या शायद उसकी बातें जिसमे मैं तो कहीं नहीं होता था मगर सारा ज़...बी नवरात्रें शुरू हो गयी है। मतलब कि मैं सत्तर पार कर गया। सन् बासठ में चीनी हमले के बाद से डायरी लिखना शुरू किया तो सिलसिला आज तक नहीं टूटा। परिवार, गाँव, कस...हे विधाता ! सुबह परिचालन के मानक सुदृढ़ थे, आवश्यक जानकारी प्राप्त कर व समुचित दिशा निर्देश देकर जब कार्यालय पहुँचा तो मन बड़ा ही हल्का था, मंडल भी हल्का था और गतिमय ...देसिल बयना – 99 : अब सतवंती होकर बैठी... -- करण समस्तीपुरी खादी भंडार पर मेला का चहल-पहल शुरु होय गया था। देसुआ गांव का लुल्हैया कुम्हार चौठीचंदा का खीर-पूरी खाकर मूर्ती बनाने में लग गया था। बिल...मै अच्छी थी .... *सारी रात जागती रही * *कशमकश में जूझती रही * *क्या हुआ ?* *कैसे हुआ ?* *क्यों हुआ ?* *प्रश्नों की कड़ियाँ * *मस्तिष्क में कौंधती रही ......* *दिल दुखाया...

खेती का आविष्कार और सामंती समाज व्यवस्था का उदय : बेहतर जीवन की तलाश-3 - पशुपालन के साथ मनुष्य अनेक नयी चीजें सीख रहा था। जांगल युग में वह तत्काल उपभोग्य वस्तुएँ मुख्यतः प्रकृति से प्राप्त करता था। लेकिन पशुपालन के माध्यम ...श्री घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग शिवालय , शिवाड (राजस्थान) *श्री घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग * *शिवालय , शिवाड (राजस्थान)* पिछले दिनों जयपुर से किलोमीटर दूर द्वादशवे ज्योतिर्लिंग श्री घुश्मेश्वर जाना हुआ . भव्य साज सज...दिल पे मत ले यार ! किसी व्यक्ति ने इसे कुमार विश्वास के पेज पर पोस्ट किया हुआ था.. आप हँसते हँसते पागल हो जाओगे..कसम से.. दिग्विजय सिंह - - दिग्विजिय सिंह की लोकप्रियता ...सत्य के पीछे का सत्य -एक अधेड़ उम्र का पिता अपने लगभग २४-२५ वर्ष के पुत्र के साथ ट्रेन में चढ़ा. पुत्र खिड़की वाली सीट पर जा बैठा और बाहर बड़े कौतूहल से देखने लगा. ट्रेन के चलन...राजे रजवाड़े न सही राजा, रेड्डी तो हैं...खुशदीपकौन कहता है राजे-रजवाड़े चले गए...राजा और रेड्डी तो रह गए हैं...राजा दिल्ली की तिहाड़ जेल में है..रेडडी हैदराबाद की चंचलगुडा जेल में...राजा के टू जी ने कां...


उदास आँखें -न जाने क्यों उदासी के बादल मन में छाए ढूँढ़ न पाया लाख यतन किए कोई उपाय उदास आँखें फूल-पँखुरियों में ढूंढें सुकून कैसी उदासी तन्हाई के बादल भीग...सान्‍नि‍ध्‍य सेतु: शक्ति की अधि‍ष्‍ठात्री देवी माँ दुर्गा -सान्‍नि‍ध्‍य सेतु: शक्ति की अधि‍ष्‍ठात्री देवी माँ दुर्गा: अश्‍वि‍न मास के शुक्ल पक्ष के शुरुआती नौ दि‍न भारतीय संस्कृति‍ में नवरात्र के नाम से शक्ति‍ की पूज....शुभकामनायें...!!! आपको मेरा नमस्कार ...!! सथियों नव रात्रे आ गए है .शुभकामनायें...!!!...आपकी दुआओं को एक खास रूप गढ़वाली कविता में दिया है...जगत जननी पापों का हरण करके आपकी ...अभिव्यक्ति हाँ हम आजाद हैं, हम आजाद हैं अँगरेज़ चले गए, हम आजाद है अब किसी के गुलाम नहीं हैं हाँ हम आजाद हैं, किन्तु...... देखिये हमारा मौलिक उगते सूरज , उगते ख़्वाबों से दोस्ती -खुद से पूछा है कई बार - कहाँ कहाँ जाती हो तुम तुम्हारी सोच ... किस शाख से तोड़ती हो ख्वाब - ओस से धुले धुले ! टिपिर टिपिर आँखें मटकाते हैं गाल पर थपक.ब्लागिंग में भी श्राप के डर से मजे लेने कम कर दिये हैं -ताऊ महाराज धॄतराष्ट राजभवन में चिंता मग्न बैठे हैं, ब्लाग पुत्र दुर्योधन और ब्लागपुत्री दु:शला की नाफ़रमानियां बढती ही जा रही थी. इधर उनके चहेते मंत्री आपस...

वार्ता को देते हैं विराम, मिलते हैं ब्रेक के बाद राम राम.....................

बुधवार, 28 सितंबर 2011

शक्ति और भक्ति के त्‍यौहार नवरात्र स्‍पेशल पर कुछ पुराने लिंक्‍स .. ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी


आप सबों को संगीता पुरी का नमस्‍कार , शारदीय नवरात्र इस बार आठ दिन का ही होगा। इस मौके पर घर-घर में शुभ मुहूर्त में घट स्थापना के साथ देवी मा दुर्गा की आराधना की जाएगी। पंडितों के अनुसार घट स्थापना का सर्वश्रेष्ठ समय सुबह 6.22 से 7.50 बजे तक रहेगा। 28 सितंबर को घटस्थापना के साथ नवरात्र की शुरुआत होगी ,नवरात्र की पहली तिथि प्रतिप्रदा दोपहर 12.47 बजे तक ही रहेगी। इसके बाद द्वितीया प्रारंभ हो जाएगी, जो गुरुवार को सुबह नौ बजे तक रहेगी, फिर तृतीया प्रारंभ हो जाएगी। इस कारण दूसरे दिन नवरात्र की द्वितीया और तृतीय एक साथ मनाई जाएगी , क्‍यूंकि तृतीया तिथि का क्षय हो रहा है।  पांच अक्टूबर को नवमी के साथ यह महोत्सव विराम लेगा। नवरात्र के मौके पर शक्तिस्‍वरूपा मां दुर्गा की पूजा अर्चना पर पिछले कुछ वर्षों में हिंदी ब्‍लोगरों ने बहुत कुछ लिखा है , आज कुछ पुराने लिंकों पर आपको लिए चलती हूं  ....

गणेशोत्सव के बाद नौ दिन तक चलने वाला शक्ति और भक्ति का अनुपम उत्सव दुर्गोत्सव सर्वाधिक धूम-धाम से मनाया जाने वाला उत्सव है। अकेले मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में दुर्गा उत्सव के अवसर पर लगभग डेढ़ हजार स्थानों पर माँ दुर्गा की भव्य प्रतिमाएं आकर्षक साज-सज्जा के साथ स्थापित की जाती हैं। वहीँ दुर्गा मंदिरों में नौ दिन तक माता रानी की अखंड ज्योत जलाकर पूजा अर्चना, हवनादि होता रहता है। नवरात्र उत्सव का विशेष आकर्षण भव्यतम झाँकियाँ जो पौराणिक गाथाओं के साथ-साथ सामयिक सामाजिक व्यवस्थाओं को प्रदर्शित कर नव जागरण का सन्देश देती हैं, सभी जाति, धर्म सम्प्रदाय के लोगों को समान रूप से आकृष्ट करती है। शाम ढलते ही माँ दुर्गे की भव्य प्रतिमाओं और आकर्षक झाँकियों के दर्शन के लिए जन समूह एक साथ उमड़ पड़ता है। जगह-जगह नौ दिन तक हर दिन मेला लगा रहता है।

असुरो के अत्याचारों से देवता बड़े दुखी त्रसित थे. देवताओं को ब्रम्हा जी ने बताया की असुरराज की मृत्यु किसी कुँआरी कन्या के हाथो से होगी . समस्त देवताओं के शक्ति तेज प्रताप से जगतजननी की उत्पत्ति हुई. देवी का मुख भगवान शंकर के तेज से हुआ . यमराज के तेज से मस्तक और केश, विष्णु के तेज से भुजाये, चंद्रमा के तेज से स्तन, इन्द्र के तेज से कमर और वरुण के तेज से जंघा पृथ्वी के तेज से नितम्ब, ब्रम्हा के तेज से चरण, सूर्य के तेज से दोनों पोरों की अंगुलियां, प्रजापति के तेज से दांत, अग्नि के तेज से दोनों नेत्र, संध्या के तेज से भौहे, वायु के तेज से कान और देवताओं के तेज से देवी के भिन्न भिन्न अंग बने.

आश्विन शुक्ल प्रतिपदा अर्थात नवरात्री का पहला दिन। इसी दिन से ही आश्विनी नवरात्र का प्रारंभ होता हैं। जो अश्विन शुक्ल नवमी को समाप्त होते हैं, इन नौ दिनों देवि दुर्गा की विशेष आराधना करने का विधान हमारे शास्त्रो में बताया गया हैं। परंतु इस वर्ष तृतिया तिथी का क्षय होने के कारण नवरात्र नौ दिन की जगह आठ दिनो के होंगे। GURUTVA KARYALAY, GURUTVA JYOTISH,पारंपरिक पद्धति के अनुशास नवरात्रि के पहले दिन घट अर्थात कलश की स्थापना करने का विधान हैं। इस कलश में ज्वारे(अर्थात जौ और गेहूं ) बोया जाता है। GURUTVA KARYALAY, GURUTVA JYOTISH,

सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए नवरात्र के पावन पर्व में पूजी जाने वाली नौ दुर्गाओं में सर्व प्रथम भगवती शैलपुत्री का नाम आता है। पर्व के पहले दिन बैल पर सवार भगवती मां के पूजन-अर्चना का विधान है। मां के दाहिने हाथ में कमल पुष्प सुशोभित है। अपने पूर्वजन्म में ये दक्ष प्रजापति की कन्या के रूप में पैदा हुई थीं। उस समय इनका नाम सती रखा गया। इनका विवाह शंकर जी से हुआ था। शैलपुत्री देवी समस्त शक्तियों की स्वामिनी हैं। योगी और साधकजन नवरात्र के पहले दिन अपने मन को मूलाधार चक्र में स्थित करते हैं और योग साधना का यहीं से प्रारंभ होना कहा गया है।

नवरात्र एक हिंदू पर्व है। नवरात्र संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है नौ रातें । यह पर्व साल में दो बार आता है। एक शरद नवरात्रि, दूसरा है बसन्त नवरात्रि। नवरात्रि के नौ रातो में तीन हिंदू देवियों - पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के नौ स्वरुपों की पूजा होती है जिन्हे नवदुर्गा कहते हैं । शक्ति की उपासना का पर्व शारदेय नवरात्र प्रतिपदा से नवमी तक निश्चित नौ तिथि, नौ नक्षत्र, नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाया जा रहा है। सर्वप्रथम श्रीरामचंद्रजी ने इस शारदीय नवरात्रि पूजा का प्रारंभ समुद्र तट पर किया था और उसके बाद दसवें दिन लंका विजय के लिए प्रस्थान किया और विजय प्राप्त की । तब से असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की जीत का पर्व दशहरा मनाया जाने लगा। आदिशक्ति के हर रूप की नवरात्र के नौ दिनों में क्रमशः अलग-अलग पूजा की जाती है। माँ दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। ये सभी प्रकार की सिद्धियाँ देने वाली हैं। इनका वाहन सिंह है और कमल पुष्प पर ही आसीन होती हैं । नवरात्रि के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है।

शारदीय नवरात्र के पहले दिन घट स्थापन कर दुर्गा की प्रतिमा की स्थापना की जाती है और भक्त पूरे नौ दिन व्रत और दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं। पूरे नवरात्र अखंड दीप जलाकर माँ की स्तुति की जाती है और उपवास रखा जाता है। नवरात्र के अंतिम दिन कन्याओं को भोजन कराकर यथेष्ट दक्षिणा देकर व्रत की समाप्ति की जाती है। साल में नवरात्र दो बार आते हैं। चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से शुरू होने वाले नौ दिवसीय पर्व को वासंतिक नवरात्र कहा जाता है। नवरात्र में भगवती के नौ रूपों की पूजा-आराधना का विधान है। इन नव दुर्गाओं के स्वरूप की चर्चा करते हुए ब्रह्मा जी द्वारा महर्षि मार्कण्डेय के लिये इस क्रम में रचा है।

प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघंटेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ।।
पंचमं स्क्न्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च ।
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गाः प्रकीर्तिताः ।।

नवरात्रि अर्थात नौ पावन, दुर्लभ,दिव्य व शुभ रातें । नवरात्रि संस्कृत शब्द है | मुख्यत: यह पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है। शक्ति की उपासना का पर्व शारदिय नवरात्र प्रतिपदा से नवमी तक निश्चित नौ तिथि, नौ नक्षत्र, नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाया जाता रहा है। शास्त्र का मत है " कलि चण्डी विनायको " अर्थात कलयुग में माँ चंडी अर्थात दुर्गा और विनायक अर्थात विघ्न विनाशक भगवान गणेश जी का सबसे जादा प्रभाव है | इस कारन नवरात्री का महात्यम और विशेष हो जाता है | शास्त्रानुसार यह पर्व वर्ष में चार बार आता है, शाक्त ग्रंथो के अनुसार वर्ष में पड़ने वाली चार नवरात्रियाँ वासंतिक, आषाढ़ीय, शारदीय, माघीय है । जिनमे से दो ज्यादा प्रचलित,प्रभावी व लाभकारी है, एक है शारदीय नवरात्रि, दूसरा है चैत्रीय अर्थात वासन्तिक नवरात्रि । बाकि दो को गुप्त नवरात्र कहते है, क्यूंकि उनका विधान या उनकी जानकारी या प्रचलन आम जनमानस में कम ही है जिस कारण यह "गुप्त" कहा गया है | इसी आधार पर शाक्ततंत्रों ने तुला संक्रांति के आस पास से आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि और हिन्दू वर्ष के आरम्भ में मेष संक्रांति के आस पास अर्थात चैत्र माह के शुक्ल पक्ष के प्रथम दिवस से वासन्तिक नवरात्रि मनाई जाती है

नवरात्र- नौ दिनों तक देवी उपासना का महापर्व है। गांव और शहरों में जगह जगह शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा की आकर्षक प्रतिमा भव्य पंडालों में स्थापित कर उसकी पूजा-अर्चना की जाती है। ग्राम देवी, देवी मंदिरों और ठाकुरदिया में जवारा बोई जाती है, मनोकामना ज्योति प्रज्वलित की जाती है .. हजारों लीटर तेल और घी इसमें खप जाता है। लोगों का विश्वास है कि मनोकामना ज्योति जलाने से उनकी कामना पूरी होती है और उन्हें मानसिक शांति मिलती है। इस अवसर पर देवी मंदिरों तक आने-आने के लिए विशेष बस और ट्रेन चलायी जाती है। इसके बावजूद दर्शनार्थियों की अपार भीड़ सम्हाले नहीं सम्हलता, मेला जैसा दृश्य होता है। कहीं कहीं नवरात्र मेला लगता है। गांव में तो नौ दिनों तक धार्मिक उत्सव का माहौल होता है।

इस व्रत में उपवास या फलाहार आदि का कोई विशेष नियम नहीं। प्रातः काल उठकर स्नान करके, मन्दिर में जाकर या घर पर ही नवरात्रों में दुर्गा जी का ध्यान करके यह कथा पढ़नी चाहिए। कन्याओं के लिए यह व्रत विशेष फलदायक है। श्री जगदम्बा की कृपा से सब विघ्न दूर होते हैं। कथा के अन्त में बारम्बार ‘दुर्गा माता तेरी सदा ही जय हो’ का उच्चारण करें।

आज से नवरात्र शुरू हो रहा है -शक्ति पूजा का एक बड़ा अनुष्ठान ! मेरे मन में एक सवाल उमड़ घुमड़ रहा है जिसे मैं आप के साथ बाँटना चाह रहा हूँ -देवी दुर्गा को कहीं तो बाघ और कहीं शेर पर आरूढ़ दिखाया गया है -सबको पता है है कि ये दोनों अलग अलग प्राणी हैं -सभी देवी देवताओं का अपना अलग अलग एक निश्चित वाहन है .इन्द्र का ऐरावत हाथी ,यमराज का भैंसा ,शिव का नंदी ,विष्णु का गरुण ,आदि आदि अरे हाँ पार्वती का व्याघ्र या पति के साथ वे नंदी को भी कृत्य कृत्य करती हैं .वैसे तो मां पार्वती के परिवार में कई वाहन हैं मगर वे चूहे को छोड़ सभी पर ,नंदी-वृषभ ,बाघ और मोर पर भ्रमण करती देखी गयीं हैं .क्या पार्वती का वाहन बाघ और माँ दुर्गा का वाहन शेर है -दुर्गा जी क्या सचमुच शेरावालिये हैं ! मामला पेंचीदा है तो आईये इस मामले की थोड़ी पड़ताल कर लें क्योंकि आज से नवरात्र की पूजा शुरू हो रही है और हमें अपनी अधिष्टात्री के स्वरुप ध्यान के लिए इस गुत्थी को सुलझाना ही होगा ।

किशोरावस्था में नवरात्र और दशहरा एक उल्लास भरा त्योहार था। दादा जी नगर के एक बड़े मंदिर के पुजारी थे। दादा जी के साथ मैं मन्दिर पर ही रहता था। दादा जी की दिनचर्या सुबह चार बजे प्रारंभ होती थी। वे उठते मंदिर बुहारते, कुएँ से पानी लाते, स्नान करते, मंदिर की सुबह की पूजा श्रंगार होता। फिर बारह बजे तक दर्शनार्थी आते रहते। वे साढ़े बारह बजे मंदिर से फुरसत पाते। फिर स्नान कर दुर्गा सप्तशती का पाठ करते। नौ दिनों तक अपना भोजन स्वयं बनाते और एक समय खाते। हमारे लिए वे कोई पवित्र अनुष्ठान कर रहे होते। शाम को तीन बजे से फिर मंदिर खुल जाता। रात नौ बजे तक वे वहीं रहते। नवरात्र के नौ दिन वे मंदिर से बाहर भी नहीं जाते। मैं ने उन से पूछा आप का इतना कठोर सात्विक जीवन है। आखिर वे इतना कठोर अनुष्ठान क्यों करते है?

शारीरिक शुद्धि के लिए आयुर्वेद में प्रत्येक छह माह या दो प्रमुख मौसमों- गर्मी व सर्दी के बाद पंचकर्म कराने की सलाह दी जाती है। इसके लिए मार्च-अप्रैल व सितंबर-अक्टूबर के महीने बेहतर माने जाते हैं। शारीरिक शुद्धि का एक आसान स्वरूप हमें नवरात्र में देखने को मिलता है, जब लोग उपवास रखते हैं। यह महज एक संयोग नहीं है कि नवरात्र का उपवास ठीक उसी समय आता है, शारीरिक शुद्धि के लिए जिस समय की अनुशंसा आयुर्वेद भी करता है। नवरात्र का अर्थ है- नौ पवित्र रातें। चंद्र पंचांग के अनुसार ये नौ रातें चैत्र (मार्च-अप्रैल के मध्य) तथा आश्विन (सितंबर-अक्टूबर के मध्य) शुक्ल पक्ष की आरंभिक नौ रातें होती हैं। नवरात्र में शक्ति की देवी (मां दुर्गा) के नौ अलग-अलग स्वरूपों की आराधना की जाती है।

अपनी नौकरी के सिलसिले में जब मैं मुम्बई में था तो नवरात्र के समय एक रोचक तथ्य देखने को मिला। नवरात्र के दिनों में महिलाएं हर रोज़ एक ही रंग के कपड़ों में दिखाई देतीं - एक दिन हरा, तो एक दिन पीला...नीला ..! तब तो मुझे इसकी विशेषता का पता नहीं था।


सबने मिल नवरात्र मनाया 
नौ दिन देवी को अर्घ्य चढाया 
कन्या के पग पखार माथे तिलक लगाया
 धार्मिक ग्रंथों में कन्या को देवी माना है
मातृशक्ति की आराधना के पर्व नवरात्रि में कन्याओं को भगवती का शुद्धत्तम रूप मानने और पूजने का चलन है। इसे उत्साह और उमंग से पूरा भी किया जाता है, लेकिन व्यवहार में कन्याओं के प्रति कुछ अलग ही नजरिया है। नवरात्र प्रारंभ हो गए हैं। आज दूसरा दिन है। इन दिनों देवियों की पूजा की जाती है। खासतौर पर शक्तिरूपिणी दुर्गा की। शक्ति के विभिन्न रूपों की आराधना करते हुए दुर्गा सप्तशती का जो स्तोत्र इन दिनों पढ़ा जाता है, उसमें प्रकृति में विद्यमान सभी तत्वों का स्मरण किया जाता है। उन तत्वों में भगवती को देवी और शक्ति के रूप में आराधा जाता है। शक्ति का मूल स्वरूप स्त्री ही है।

नवरात्र चल रहा पुण्यभूमि भारत में. नारी शक्ति की अराधना उत्कर्ष पर है. एक ऐसे देश में जहाँ शाम ढलने के बाद बाहर निकलने में महिलाओं को डर लगता है.भारत विडंबनाओं और विरोधाभासों का देश है, इसकी सबसे अच्छी मिसाल नवरात्र में देखने को मिलती है जब लोग हाथ जोड़कर माता की प्रतिमा को प्रणाम करते हैं और हाथ खुलते ही पूजा पंडाल की भीड़ का फ़ायदा उठाने में व्यस्त हो जाते हैं.भारत का कमाल हमेशा से यही रहा है कि संदर्भ, आदर्श, दर्शन, विचार, संस्कार सब भुला दो लेकिन प्रतीकों को कभी मत भुलाओ.


गुप्त नवरात्र और तांत्रिक साधनाएं ग्रहण काल, होली, दीपावली, संक्रांति, महाशिवरात्रि आदि पर्व मंत्र-तंत्र और यंत्र साधना सिद्धि के लिए उपयुक्त बताए गए हैं, लेकिन इनमें सबसे उपयुक्त पर्व "गुप्त नवरात्र" है। तांत्रिक सिद्धियां गुप्त नवरात्र में ही सिद्ध की जाती हैं।साल में चार नवरात्र होते हैं। इनमें दो मुख्य नवरात्र- चैत्र शुक्ल और अश्विनी शुक्ल में आते हैं और दो गुप्त नवरात्र आषाढ़ शुक्ल और माघ शुक्ल में होते हैं। इनका क्रम इस तरह होता है- पहला मुख्य नवरात्र चैत्र शुक्ल में, फिर गुप्त नवरात्र। दूसरा मुख्य नवरात्र अश्विनी शुक्ल में फिर गुप्त नवरात्र। वैज्ञानिक दृष्टि से देखें, तो चारों नवरात्रों का संबंध ऋतु परिवर्तन से है। आषाढ़ शुक्ल, 23 जून मंगलवार को गुप्त नवरात्र प्रारंभ हो रहे हैं। मंत्र शास्त्र के अनुसार वेद मंत्रों को ब्राहा ने शक्ति प्रदान की। तांत्रिक प्रयोग को भगवान शिव ने शक्ति संपन्न बनाया है। इसी प्रकार कलियुग में शिव अवतार श्रीशाबर नाथजी ने शाबर मंत्रों को शक्ति प्रदान की। शाबर मंत्र बेजोड़ शब्दों का एक समूह होता है, जो सुनने में अर्थहीन सा प्रतीत होता है। कोई भी मंत्र-तंत्र-यंत्र को सिद्ध करने के लिए गोपनीयता की आवश्यकता होती है। 

आश्विन शुक्ल दशमी को मनाया जाने वाला उत्सव, जिसे विजय-दशमी या दशहरा के नाम से जाना जाता है, लोकमानस में रावण-वध से संबद्ध है। यही संबंध पौराणिक साहित्य में भी प्राय: सर्वत्र ही उल्लिखित है। मोटे तौर पर, कहानी यह है कि राम-रावण युद्ध में राम की पराजय हो रही थी, जिसका कारण यह था कि रावण ने शक्तिपूजा के द्वारा कालिका को प्रसन्न करके अपने पक्ष में कर रखा था और जब राम ने इसे जान कर शक्तिपूजा की तो देवी ने प्रकट होकर उन्हें विजय का वरदान दिया, जिसके बाद वे रावण का वध कर सकने में समर्थ हुए। राम की यह आराधना ही आश्विन-नवरात्र के दुर्गा-पूजन के नाम से प्रख्यात है।

अक्टूबर का महीना त्यौहारों व उल्लास का समय है। चारों तरफ आस्था- पूजा संबंधी आयोजन हो रहे हैं और पूरा समाज भक्तिभाव में डूबा हुआ है। न केवल मंदिरों में बाजारों और मोहल्लों में भी स्थान-स्थान पर नवरात्रों के उपलक्ष्य में दुर्गा, लक्ष्मी व सरस्वती की आराधना से वातावरण चौबीसों घंटे गूंजता है। समाज का लगभग हर व्यक्ति, कुछ कम कुछ ज्यादा इन कार्यक्रमों में हिस्सा लेता है। सामाजिक उल्लास व सार्वजनिक सहभागिता का ऐसा उदाहरण और कहीं मिलता नहीं है। बच्चे, किशोर, युवा, वृद्ध, स्त्री, पुरूष, मजदूर, किसान, व्यापारी, व्यवसायी सभी इन सामाजिक व धार्मिक कार्यों में स्वयं प्रेरणा से जुड़े हैं। इन कार्यक्रमों के आयोजन के लिए और लोगों की सहभागिता के लिए कोई बहुत बड़े विज्ञापन अभियान नहीं चलते, छोटे या बड़े समूह इनका आयोजन करते है और स्वयं ही व्यक्ति और परिवार दर्शन -पूजन के लिए आगे आते हैं। कहीं भी न तो सरकारी हस्तक्षेप है और ना ही प्रशासन का सहयोग। उत्तर से दक्षिण, पूर्व से पश्चिम सभी महानगरों, नगरों और गांवों में धार्मिक अनुष्ठानों की गूंज है।

माँ ऐसा वरदान दिजो, जो नित करूँ सेवा तेरी |
तन मन धन सब अर्पित करूँ, चरणों मे तेरी ||
हो सबकी इच्छा पूरी ,करूँ हाथ जोड़ ये विनती |
माँ जगजननी कृपा करो, आया मै शरण तेरी ||

आस्था और भक्ति के नाम पर हम पूजा - पाठ करके हवन , यज्ञ की भस्म ,फूल - मालाएं तथा अन्य देवी - देवताओं की मूर्तियां व फोटो आदि सामग्री जो कि यहां - वहां नहीं फेंक सकते उसे नदी व गंगा - यमुना मे डालकर अपनी आस्था की इतिश्री कर लेते हैं । जबकि हमारा यह नासमझी भरा कदम पर्यावरण के साथ - साथ नदियों के पानी को भी जहरीला बना रहा है । सिर्फ यही नहीं पर्यावरण व नदियों के साथ अत्याचार की पराकाष्ठा उस समय और बढ़ जाती है

बहुत दिनों बाद इस वर्ष नवरात्र में गांव का कार्यक्रम बन गया है , 8 अक्‍तूबर को ही वापस लौटना हो पाएगा , तबतक के लिए विदा लेती हूं .. आप सबों को नवरात्र की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं !!

मंगलवार, 27 सितंबर 2011

ताजमहल,जूता, कलेक्टर और नेता-पुलिस सांठ-गांठ -- ब्लॉग4वार्ता -- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, तुलसी बाबा कह गए हैं - तुलसी इस संसार में भांति-भांति के लोग। सच यही है कि कोई लूटने वाला मिलता है तो कोई अनजान की सहायता कर उसे संकट से उबार लेता है। जिससे कभी दूर-दूर तक नाता न रहा हो उसकी भी मदद अपनी जान पर खेल कर करता है। कोई करुणा का सागर होता है उससे किसी का दु:ख दर्द देखा नहीं जाता। कोई इतना निमर्म होता है कि किसी की जान भी ले बैठता है। आज एक ऐसी हकीकत से मैं रु-ब-रु हुआ कि मुझे सोचना पड़ा, इस दुनिया में भी ऐसे फ़रिश्ते सदृश्य लोग हैं जो किसी अनजान की मदद करने के लिए हाथ बढाते हैं। केवल कृष्ण के ब्लॉग जरा इधर भी पर मुझे एक ऐसा ही मंजर देखने मिला। रंजना बेन एवं मुकुंद राठौड़ जी ने एक ऐसा कार्य किया है जिसका अनुकरण करना भी कठिन है। मानवीय संवेदना की पराकाष्ठापूर्ण कार्य के लिए हृदय से शुभकामनाएं देता हूँ।

चलते चलते एक नए ब्लॉग पर नजर पड़ी, यह ब्लॉग सुरतगढ राजस्थान से लिखा जा रहा है। रश्मि रविजा जी के ब्लॉग को दो वर्ष पूर्ण हो गए, वे लिख रही हैं दो वर्ष पूरा होने की ख़ुशी ज्यादा या गम२३ सितम्बर को इस ब्लॉग के दो साल हो गए. पर इस बात की ख़ुशी नहीं बल्कि अपराधबोध से मन बोझिल है. पिछले साल इस ब्लॉग पर सिर्फ दो लम्बी कहानियाँ और एक किस्त,वाली बस एक कहानी लिखी. जबकि sept 2009 -sept 2010 .. पढिए लघु कथा, सुमीत के तड़के पर -- हमारी मानसिकता और अनशन की प्रासंगिकता 1.2पिछले अंक से आगे ............! पिछले दो अंकों में मैंने भ्रष्टाचार के विभिन्न पहलुओं पर विचार किया , तथा यह प्रश्न मेरे मन में उभर कर आया कि भ्रष्टाचार को समाप्त करने के इस चाँद को धरती पे उतरने तो दोमेरी बेटी .....आज से कोई 18 साल पहले .....जब पैदा हुई , तो सच कहूं , बड़ी निराशा हुई थी मुझे .....एक क्षण के लिए ...पर फिर मैं जल्दी ही इस सदमे से उबार गया .....क्वार की कड़कड़ाती धूपभादों का महीना वर्षा ऋतु का अन्तिम माह होता है। वर्षा के समाप्त होते ही शीत के आरम्भ का ख्याल गुदगुदाने लगता है। किन्तु वास्तव में ऐसा नहीं है कि वर्षा की समाप्ति के साथ ही शीत की शुरुवात हो जाए। वर्षा ऋतु...


बिटियानिशा अपने रौ में चली जा रही थी अपनी भावनाओं में बही जा रही थी पीछे से दौडते-हाँपते चाँद-तारों औ- दसों दिशाओं ने - आवाज लगाई- रुको,सुनो- हमारा फैसला करके जाओ बताओ-हम सब में सबसे सुन्दर-सबसे अच्छा औ सबसे चंच...ईश्वर, वह सुरक्षित हो और उसका परिवार भी.सिक्किम का भूकंप १८ सितम्बर २०११ को मेरे लिये भी एक ऐसी खबर थी जिसने मुझे उन पीड़ितों के प्रति चिंतातुर किया जिन पर प्रकृति का यह कोप हुआ। औरों के साथ मेंने भी उनकी कुशलता के लिये ईश्वर से प्रार्थना की। उन...क्यों भाई! क्या गये हार?भाग्य, प्रारब्ध, व्रत, त्योहार क्यों भाई! क्या गये हार? ज्योतिषी, नज़ूमी, पादरी, पाधा, ये सब कर्मशील जीवन के बाधा। ग्रह, नक्षत्र, साइत विचार, डरे हुए मानुष का मनोविकार। जीवन सतत प्रवाह है, साधना है, सतत क...आगरा का ताजमहल...जूता और कलेक्टर.ताजमहल ने अगर आगरा को पहचान दिलायी तो आगरा के जूतों ने आगरा के कलेक्टर को। और आगरा के कलेक्टर का एक मतलब है स्टाम्प ड्यूटी का ऐसा खेल, जिसके शिकंजे में जूतो का जो उघोगपति फंसा तो या तो उसका धंधा चौपट हुआ य...क्रांति नहीं आईबहुत शोर हो रहा था * * क्रांति आ रही है... **क्रांति आ रही है...?* * वह सो रहा था* * उठकर बैठ गया* * खड़े होने की जरुरत ही नहीं पड़ी* * क्योंकि क्रांति आई ही नहीं** * *तभी उस शोर में एक आवाज गूंजी...* * .

शहंशाहों की रीत निरालीशहंशाहों की रीत निराली मंदिर और शिवाले छाने, कहाँ-कहाँ नहीं तुझे पुकाराचढ़ी चढ़ाई, स्वेद बहाया, मिला न किन्तु कोई किनारा ! मेरा अस्तित्वतू बरगद का पेड़ और मैं छाँव तेरी है यदि तू जलस्त्रोत मैं हूँ जलधार तेरी | तू मंदिर का दिया और मैं बाती उसकी अगाध स्नेह से पूर्ण मैं तैरती उसमे | तूने जो चाहा वही किया उसे ही नियति माना ना ही कोइ बगावत ना ही ...राजनीति के केंद्र से गायब हो रहा आम आदमीभ्रष्टाचार और मूल्यहीनता की समस्याएं पहले भी थी । पहले भी टूटते थे मिथक और चटखती थी आस्थाएं । यहाँ तक कि मर्यादाएं लांघने की वेशर्मी पहले भी दिखलाई जाती थी, लेकिन जबसे ग्लोबलाईजेशन का दौर चालू हुआ, सत्...तीन चिंतन.निंदक नियरे राखिए* एक बहुत प्रसिद्ध दोहा है- निंदक नियरे राखिए आंगन कुटि छबाय। बिन पानी बिन साबुन निर्मल करे सुहाय।। इस दोहे में यही कहा गया है कि अपनी निंदा, आलोचना, बुराई करने वालों सदा अपने पास रखना च...कृष्ण लीला ……भाग 15एक दिन वासुदेव प्रेरणा से कुल पुरोहित गर्गाचार्य गोकुल पधारे हैं नन्द यशोदा ने आदर सत्कार किया और वासुदेव देवकी का हाल लिया जब आने का कारण पूछा तो गर्गाचार्य ने बतलाया है पास के गाँव में बालक ने जन्...

दिल लुभाने वाली मूर्तियाँबोलोनिया शहर संग्रहालयों का शहर है. गाइड पुस्तिका के हिसाब से शहर में सौ से भी अधिक संग्रहालय हैं. इन्हीं में से एक है दीवारदरियों (Tapestry) का संग्रहालय. दीवारदरियाँ यानि दीवार पर सजावट के लिए टाँगने वा...हिन्दी के लिए स्वागत योग्य पहल.भारत में सितम्बर माह का दूसरा पखवाडा राज भाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार पर केन्द्रित रहता है . हिन्दी दिवस के दिन १४ सितम्बर से इसकी शुरुआत हो जाती है . केन्द्रीय कार्यालयों सहित बैंकों में भी कहीं राज-भाषा...घायल सिक्किम - सतीश सक्सेनाप्राकृतिक आपदा में बुरी तरह से घायल सिक्किम , इनदिनों अपने जख्म सहला रहा है ! इस भयानक त्रासदी में मारे गए सौ से नागरिक और घायलों की अनगिनत संख्या भी, टेलीविजन चैनल्स का ध्यान खींचने में असमर्थ है !* * ...नेता-पुलिस की सांठ-गांठ हुई है !बदलता दौर है, जिस्मानी इश्क की चमक-चौंध है कोई बोली लगाकर, कोई तोहफे सजाकर मुरीद है ! ... शहर में फैला सन्नाटा देख सन्न हो गया हूँ हर एक दर और दीवार पे इंकलाब लिखा है ! ... सच ! भले बंजर है वो, किसी की नज़रों...

पावन मकड़जाल ....पढ़ता हूँ कुछ साहित्यिक पुरस्कार प्राप्त कहानियाँ और कवितायें नये जमाने की और सोचता हूँ:* शब्द शब्द जोड़ कुछ ऐसा सजाऊँ जैसे काढ़ी हो सलीके से कुछ बूटियाँ और तैयार कर.... एक जामा पहना दूँ अपनी कवि...सऊदी अरब में महिलाओं को अधिकारआखिरकार सऊदी अरब ने महिलाओं को भी कुछ हद तक सही पर बराबरी का दर्ज़ा देने की दिशा में एक कदम तो उठा ही लिया है. अब वहां पर महिलाओं को नगर पालिका चुनावों में खड़े होने का और मत देने का अधिकार भी दे दिया गया ह...
नई किरणों के लिएनई किरणों के लिए*** *श्यामनारायण मिश्र* दिन कटा, ज्यों किसी सूमी महाजन का पुराना ऋण पटा। कल सुबह की नई किरणों के लिए, पी रहे आदिम-अंधेरा आंख मूंदे, मुंह सिए। करवटें लेते हुए महसूस करते रहे...बालिका दिवस... कहानी. -फरीदाबाद से वापिस आते आते आनंद का स्कूटर कुछ तंग करने लगा और मोबाइल भी काफी देर से चिल्ला रह था, संकेत स्पष्ट थे, कुछ देर के लिए रुका जाए... बदरपुरफ्लाई ओव...उत्तर प्रदेश में भी भ्रष्ट अफसरों की कमी नहीं -बिहार में आज आईएएस एसएस वर्मा भ्रष्टाचार की मिसाल बने हुए हैं तो उत्तर प्रदेश में भी भ्रष्ट वर्मा जैसे आईएएस अधिकारियों की कमी नहीं है। यूपी में भी नौकरशाहों...


अगली वार्ता लिखेगें, गिरीश बिल्लोरे जी, हम जा रहे हैं तीन दिन की छुट्टी पर राम राम.......

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